कौन हैं बोस्टन ब्राह्मण, जिनकी चर्चा ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने अमेरिकी टैरिफ को सही ठहराने के लिए किया
Boston Brahmin : अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 50% टैरिफ लगाया है और यह साबित करने में भी जुटा है कि अमेरिका का यह कदम सही है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने यह कहा है कि नरेंद्र मोदी एक अच्छे व्यक्ति हैं, लेकिन पता नहीं क्यों वे पुतिन और जिनपिंग जैसे तानाशाहों की गोद में बैठना चाह रहे हैं. नवारो ने यह कहा कि भारतीय ब्राह्मण वहां की रणनीति तय कर रहे हैं, दरअसल नवारो अमेरिका के उस एलिट क्लास से भारतीय एलिट क्लास की तुलना कर रहे हैं जिन्हें बोस्टन ब्राह्मण कहा जाता है.
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Boston Brahmin : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने सोमवार को भारत पर एक बार फिर हमला बोला. नवारो ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक महान नेता हैं, लेकिन यह समझ नहीं आ रहा है कि वे क्यों पुतिन और जिनपिंग जैसे नेताओं की शरण में जा रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आर्थिक नीतियों को तय करने में ब्राह्मणों की भूमिका रही है, जो वहां के गरीबों और जरूरतमदों को दरकिनार कर अपने हित में नीतियां बनवा रहे हैं. पीटर नवारो के इस बयान के बाद भारत में हंगाम मच गया है.
भारत में कौन हैं ब्राह्मण?
भारत में ब्राह्मण जाति व्यवस्था के शीर्ष पर हैं और उनका बिजनेस से कोई लेना–देना नहीं है. पुराने समय में वे धार्मिक कार्यों में अधिक संलग्न रहते थे और राजा के सलाहकार भी होते थे. ब्राह्मण जाति आज भी समाज में शक्तिशाली और अपनी प्रतिष्ठा रखती है, लेकिन उनका बिजनेस से कोई लेना देना नहीं है. ऐसे में जब नवारो ने ब्राह्मण शब्द का प्रयोग किया, तो इसे भारतीयों ने जातिसूचक शब्द के रूप में लिया.
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बोस्टन ब्राह्मण कौन है?
पीटर नवारो ने भारत पर 50% टैरिफ को सही ठहराने के लिए यह कहा कि वहां के एलिट क्लास ने जरूरतमंदों को दरकिनार कर नीतियां बनाई हैं. इसी एलिट क्लास को उन्होंने ब्राह्मण कहा. यहां उनका ब्राह्मण कहने का आशय बोस्टन के उन ब्राह्मणों से तुलना है, जो अमेरिका में एलिट क्लास होते हैं. ‘बोस्टन ब्राह्मण’ अमेरिका के बोस्टन में धनी, सुशिक्षित प्रोटेस्टेंटों का समुदाय था. ये लोग 18वीं और 19वीं सदी में ताकतवर समुदाय थे, वे अमेरिका के अंग्रेज उपनिवेशवादियों के वंशज थे. इन लोगों ने बिजनेस में भाग्य आजमाया और सफल भी हुए. बोस्टन ब्राह्मण अन्य लोगों से अलग रहते थे और अपनी एक अलग जीवन शैली में जीते थे. उन्हें दूसरे वर्ग के लोगों के साथ मिलना–जुलना पसंद नहीं था. वे शादी भी आपस में ही करते थे. बाहरी लोगों में इनकी छवि एक घमंडी समुदाय के रूप में थी, जो सिर्फ अपना हित देखता है. ‘बोस्टन ब्राह्मण’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले ओलिवर वेंडेल होम्स सीनियर ने 1861 में एक लेख में किया था. उन्होंने भारतीय ब्राह्मणों की सामाजिक और सांस्कृतिक स्थिति को देखकर ही उनके लिए बोस्टन ब्राह्मण शब्द का प्रयोग किया था.
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