क्या है डेमोग्राफिक चेंज? 3 प्वाइंट में समझें, संभल हिंसा पर सौंपी गई रिपोर्ट में इसपर क्यों हुई है चर्चा

Demographic Change : डेमोग्राफी का अर्थ होता है जनसांख्यिकी यानी जनसंख्या का पूर्ण विवरण. इसके जरिए सरकार अपनी नीतियां बनाती हैं और देश को विकास की ओर लेकर जाती हैं. यह तो हुई आदर्श स्थिति, वर्तमान में डेमोग्राफी का इस्तेमाल राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए करते हैं, क्योंकि उन्हें डेमोग्राफी के आधार पर ही अपने वोटबैंक की जानकारी मिलती है और उनका शासन में आना या ना आना तय होता है. इतिहास की बात करें तो 19वीं सदी में बोहेमिया और मोराविया के यहूदियों के बीच डेमोग्राफी चेंज सबसे पहले देखा गया था. वे बेहतर जीवन जीते थे यानी वे स्वच्छता का पालन करते थे और उनके पास स्वास्थ्य सुविधाएं भी थीं, जिसकी वजह से उनमें मृत्यु दर घटा और उन्होंने अपने प्रजनन दर को कम रखा, जिससे यहूदियों की संख्या घटने लगी, जबकि उनके आसपास रहने वाले अन्य ईसाइयों की संख्या बढ़ती जा रही थी.

By Rajneesh Anand | August 29, 2025 3:28 PM

Demographic Change : 2024 में हुई संभल हिंसा की जांच के लिए गठित तीन सदस्यीय न्यायिक पैनल ने अपनी 450 पेजों की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है. सूत्रों के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रिपोर्ट में संभल में हो रहे डेमोग्राफिक चेंज पर व्यापक चर्चा की गई है. संभल हिंसा की जांच के लिए सरकार ने 28 नवंबर 2024 को न्यायिक आयोग का गठन किया था. इस आयोग ने कई बार संभल का दौरा किया और पीड़ितों से बातचीत के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है. खैर ये तो हुई संभल हिंसा पर तैयार रिपोर्ट की बात, यहां गौर करने वाली बात यह है कि संभल हिंसा में डेमोग्राफिक चेंज की बात कही गई है. डेमोग्राफिक चेंज की बात पिछले कुछ वर्षों से देश में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है? आइए समझते हैं क्या है डेमोग्राफी चेंज और इसका देश की राजनीति पर क्या पड़ता है प्रभाव?

क्या है डेमोग्राफी?

डेमोग्राफी का अर्थ होता है किसी खास क्षेत्र, देश या राज्य की जनसंख्या का वैज्ञानिक अध्ययन. इसके जरिए यह पता लगाया जाता है कि उस खास क्षेत्र में रहने वालों की जनसंख्या कितनी है, वे कहां रहते हैं, उनकी उम्र कितनी है? इसके साथ ही डेमोग्राफी के जरिए निवासियों की जाति, धर्म, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, प्रवास और जन्म-मृत्यु जैसी चीजों की जानकारी भी एकत्र की जाती है और उसका अध्ययन किया जाता है. डेमोग्राफी में किए जाने वाले अध्ययन इस प्रकार हैं-

  • जनसंख्या की गिनती (Size of Population) – कुल लोग कितने लोग हैं.
  • जनसंख्या का वितरण (Distribution) – आबादी कहां-कहां रहती है, जैसे शहर, गांव, पहाड़, मैदान.
  • जनसंख्या की संरचना (Structure) – उम्र, लिंग, धर्म, भाषा, शिक्षा, रोजगार .
  • जनसंख्या की गति (Dynamics) – जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवास, प्रजनन दर.
  • जनसंख्या का रुझान (Trends) – जनसंख्या में हो रहे बदलाव की जानकारी जैसे आबादी में युवा बढ़ रहे हैं या वृद्ध.

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डेमोग्राफी का महत्व क्या है?

सरकार जनगणना इसलिए कराती है कि उसे यह पता चले कि देश की जनसंख्या का उसे पता चले. इसकी वजह यह है कि सरकार जनसंख्या के आधार पर नीतियों का निर्माण करती है. अगर जनसंख्या में युवाओं की जनसंख्या अधिक होगी, तो सरकार को रोजगार केंद्रित और शिक्षा आधारित नीतियों की जरूरत होगी, लेकिन अगर वृद्ध ज्यादा होंगे, तो स्वास्थ्य और पेंशन पर फोकस करना होगा. आबादी में युवाओं का अधिक होना देश के लिए अच्छा होता है क्योंकि इससे वर्कफोर्स बढ़ता है. समाज और राजनीति पर भी डेमोग्राफी का असर दिखता है, क्योंकि जिस समुदाय या वर्ग का प्रतिनिधित्व अधिक होगा, देश और समाज का चेहरा भी उसी के अनुसार बदलता रहेगा. राजनीति पर भी इसका व्यापक असर होता है क्योंकि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में संख्याबल का महत्व बहुत अधिक है.

डेमोग्राफी चेंज का अर्थ?

डेमोग्राफिक चेंज

डेमोग्राफी में बदलाव स्वाभाविक है, क्योंकि समय के साथ देश की जनसंख्या में बदलाव होगा ही. जन्मदर-मृत्यु और जीवन प्रत्याशा के असर से किसी क्षेत्र में आबादी बढ़ती,घटती रहती है. सरकार अगर शिक्षा पर जोर देगी तो जनसंख्या शिक्षित होगी, उनका स्वास्थ्य बेहतर होगा. जन्म-मृत्यु दर के प्रभाव से युवाओं और वृद्धों की संख्या में बदलाव होता रहता है. कहने का आशय यह है कि यह सामान्य बातें हैं, लेकिन विगत कुछ समय से जिस डेमोग्राफी चेंज की बात हो रही है, वह एक खास समुदाय की जनसंख्या बढ़ने और दूसरे की घटने को लेकर है. असम, बिहार, झारखंड, बंगाल और यूपी जैसे राज्यों में इसी तरह की डेमोग्राफी चेंज की बात हो रही है. कहा यह जा रहा है कि सीमाई इलाकों में बांग्लादेशी मुसलमान हमारे देश में प्रवेश कर रहे हैं और यहां के स्थानीय लोगों से विवाह कर उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं और अपनी संख्या में वृद्धि कर रहे हैं. उनकी इस हरकत से खास क्षेत्रों में डेमोग्राफी में बड़ा बदलाव आया है, जिसने वहां के समाज और राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाला है. जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को मुसलमानों द्वारा दरकिनार किए जाने के मसले पर भी वो ध्यान दिलाते हैं और कहते हैं कि डेमोग्राफी चेंज की वजह से राजनीति प्रभावित है. वे डेमोग्राफी में इस बदलाव को सुनियोजित कहना चाहते हैं. जैसे कि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है कि 1951 में प्रदेश में मुस्लिम आबादी सिर्फ 12% थी, जो अब 40% हो गई है. इसी तरह बंगाल और अन्य राज्यों के लिए भी कहा जा रहा है.

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