क्यों दिल्ली की सड़कों पर बिछी थीं लाशें, जारी था कत्लेआम और इज्जत बचाने के लिए कुएं में कूद रही थीं औरतें?

Delhi Stories : औरंगजेब के निठल्ले उत्तराधिकारियों की वजह से दिल्ली ने फारस के शाह, नादिर शाह का आतंक देखा. उसने ऐसा कत्लेआम दिल्ली में मचाया कि उसके जाने के दो महीने बाद तक, जब लोग घरों से निकलते तो खौफ उनके चेहरे पर साफ दिखता था. इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब में उस काल के प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से बताया है कि कैसे नादिर शाह और उसके सैनिकों ने दिल्ली के दिल को रौंदा और मौत और वहशीपन का नाटक दिल्ली में दो महीने तक चला.

By Rajneesh Anand | December 12, 2025 2:52 PM

Delhi Stories : भारत की राजधानी दिल्ली कई बार बसी और कई बार उजड़ी. उसने कई कत्लेआम भी देखा. मुगल शासक औरंगेब की मौत के बाद उसके उत्तराधिकारी नकारे साबित हुए और मुगल वंश आपसी लड़ाई में फंस गया. इस लड़ाई में कई योग्य मुगल उत्तराधिकारी भी मारे गए. सीमा के राज्यों में अव्यवस्था फैल गई और इस वजह से फारस (ईरान) के शाह नादिर शाह को भारत में घुसने का मौका मिल गया.

भारत की भूमि को रौंदते हुए नादिर शाह जब दिल्ली पहुंचा, तो उसने यहां भयंकर कत्लेआम और लूटपाट किया. उस लूटपाट और नादिर शाह की हैवानगी की दास्तां प्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी किताब NADIR SHAH IN INDIA में लिखा है. जदुनाथ सरकार ने उस काल के लोगों के हवाले से दिल्ली में हुई लूटपाट का भयंकर दृश्य चित्रित किया है.


क्या नादिर शाह ने दिल्ली में मचाया था भयंकर उत्पात? प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से जानें

फारस का शाह नादिर शाह जब दिल्ली को बर्बाद करने पर आमादा हुआ, तो उसने यहां भयंकर कत्लेआम किया. जदुनाथ सरकार ने उस काल के एक मुगल अधिकारी आनंदराम बक्शी की किताबों के हवाले से जीवंत चित्रण किया है. एक बुजुर्ग के हवाले से यह बताया गया है कि नादिर शाह के आक्रमण के बाद सड़कों पर लाशें और घरों में सन्नाटा पसरा था. सुबह जब लोग अपने घरों का दरवाजा खोलते, तो गली में दर्जनों लाशें पड़ी मिलतीं. कोई रोने-धोने वाला नहीं था. लोग घरों के दरवाजे बंद किए बैठे रहते कि कहीं सैनिक दरवाजा तोड़कर अंदर न घुस जाएं. दिल्ली की गलियां कई दिनों तक खाली रहीं. दुकानों पर ताले पड़े रहे. मस्जिदों में अजान बंद हो गई थी और मंदिरों के घंटे बजने बंद हो गए थे.


दिल्ली की जान चांदनी चौक का कैसा था हाल?

प्रत्यक्षदर्शियों की किताबों के हवाले से जदुनाथ सरकार बताते हैं कि 22 मार्च 1739 की सुबह दिल्लीवालों ने जो देखा उसका जिक्र मोहम्मद काजिम ने अपनी किताब में किया है. वे लिखते हैं नादिर शाह ने चांदनी चौक में हाथ उठाकर संकेत किया और उसके सैनिकों ने पूरे शहर में हत्या शुरू कर दी. लोग जान बचाकर भाग रहे थे, लेकिन कोई बच नहीं रहा था. आशंका जताई जाती है कि सिर्फ 6–7 घंटों में 20,000 से 30,000 तक लोग मारे गए. एक व्यक्ति बताता है कि एक ही दिन में हमारी आंखों के सामने मोहल्ले के सौ-दो सौ लोग काट दिए गए. जमीन पर खून बह रहा था. नादिर शाह के सिपाही घरों में घुसते जो मिलता उसे मार देते. कश्मीरी गेट और फतेहपुरी मस्जिद का इलाका कुछ ही घंटों में वीरान हो गया.

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औरतों ने कुएं में कूदकर क्यों दी जान?

नादिर शाह के आक्रमण के दौरान औरतों ने कुएं में कूदकर दी जान

इतिहास से लेकर आजतक जब भी कहीं हिंसा या आक्रमण होता है, तो महिलाएं साॅफ्ट टारगेट हो जाती हैं. आक्रमणकारी उनकी हत्या करने से पहले उनपर इतना जुल्म करते हैं कि औरतों को जिंदगी से बेहतर मौत प्रतीत होती है. कई प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि जब नादिर शाह की सेना दिल्ली में आतंक मचा रही थी तो दिल्ली की औरतों ने खुद को बचाने के लिए कुएं में कूदना शुरू कर दिया. इसकी वजह यह थी कि उनके जुल्म मौत से बदतर थे. कुछ परिवारों ने अपनी बेटियों और बहुओं को अपने ही हाथों मार दिया ताकि वे सैनिकों के हाथ न चढ़ें. स्थिति इतनी भयावह थी कि सड़कों पर उनकी लाशें बिखरीं हुईं थीं. यमुना के किनारे, शाहजहानाबाद की दीवारों के पास औरतों की लाश पड़ी थी.

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