खेल-शक्ति बनना है, तो खिलाड़ियों का सम्मान करें

sports power : हम एक तरफ तो विश्व में खेल शक्ति बनने की बातें करते हैं, दूसरी तरफ कई बार हमारा व्यवहार इसके विपरीत हो जाता है. भारतीय महिला टेनिस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में यदि किसी खिलाड़ी का हाथ है, तो वह निश्चित ही सानिया मिर्जा हैं.

By मनोज चतुर्वेदी | August 19, 2025 5:35 AM

sports power : भारत में खिलाड़ियों को हीरो का दर्जा दिया जाता है. इसकी वजह यह है कि वे अपना अधिकांश समय राष्ट्र की प्रतिष्ठा बनाने में लगा देते हैं. इसलिए जब कभी इन खिलाड़ियों के साथ कोई अपमानित करने वाली घटना होती है, तो बहुत दुख होता है. हम अभी ओलिंपिक जैसे खेलों में बहुत आगे नहीं हैं और मुश्किल से कुछ ही पदक जीत कर ला पाते हैं. इन खेलों में पदक जीतने वालों के लिए तो सम्मान प्रदर्शित करना हम सभी का फर्ज बनता है.

महिला बॉक्सर लवलीना बोरगोहेन ओलिंपिक में पदक जीतने वाली भारत की गिनी-चुनी खिलाड़ियों में शामिल हैं. उन्होंने यह उपलब्धि 2020 के टोक्यो ओलिंपिक में हासिल की थी. पिछले दिनों उन्होंने भारतीय बॉक्सिंग महासंघ के कार्यकारी निदेशक अरुण मलिक पर लैंगिक भेदभाव और अपमानजनक व्यवहार का जो आरोप लगाया, वह मर्माहत करने वाला है. हालांकि मलिक ने इन आरोपों को नकारा है और भारतीय ओलिंपिक संघ ने इन आरोपों की जांच के लिए समिति भी बना दी है. इसलिए सही स्थिति क्या है, यह तो जांच के बाद ही सामने आ पायेगी.


पर ओलिंपिक पदक विजेता लवलीना यदि कोई आरोप लगा रही हैं, तो कुछ हुआ ही होगा. राष्ट्र के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले खिलाड़ियों के लिए सम्मान प्रकट करना बेहद जरूरी है. कई बार खेलों का संचालन करने वाले पदाधिकारी यह भूल जाते हैं कि उन्हें जो भी वाहवाही मिलती है, उसकी वजह खिलाड़ियों की उपलब्धियां ही हैं. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि जिनके बूते आप सम्मान पा रहे हैं, उन्हें सम्मान दें. लवलीना का पूरा मामला निजी कोच को राष्ट्रीय शिविर और विदेश में ट्रेनिंग के दौरान साथ रखने का है. यह कहा गया कि राष्ट्रीय शिविर में निजी कोचों को साथ रखने की फेडरेशन की अनुमति नहीं है. समझने वाली बात यह है कि संध्या गुरंग लवलीना की कोच हैं और वह भारतीय टीम की सहायक कोच भी हैं. यही नहीं, वह द्रोणाचार्य अवाॅर्ड भी पा चुकी हैं. ऐसे में यह समझ से परे है कि फेडरेशन ने इस तरह की नीति बनायी ही क्यों है.

एक तरफ तो हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रयास करने की बात करते हैं. दूसरी तरफ इन प्रयासों में फेडरेशन स्वयं ही बाधा बन रहा है. लवलीना ने खेल मंत्री मनसुख मांडविया सहित कई लोगों को भेजी शिकायत में आरोप लगाया है कि उनसे कहा गया कि चुप रहो, सिर नीचा करो, जैसा कहा जा रहा है, वैसा करो. यदि यह बात सच है, तो बेहद दुखद है. इस तरह की भाषा तो किसी सामान्य व्यक्ति के प्रति भी इस्तेमाल नहीं की जानी चाहिए, देश का सम्मान बढ़ाने वाली खिलाड़ी के प्रति तो कतई नहीं. वैसे यह बातचीत ऑनलाइन हुई थी, इसलिए इसकी फुटेज आसानी से मिल जायेगी. यदि बात सही साबित होती है, तो इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की जरूरत है.


हम एक तरफ तो विश्व में खेल शक्ति बनने की बातें करते हैं, दूसरी तरफ कई बार हमारा व्यवहार इसके विपरीत हो जाता है. भारतीय महिला टेनिस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने में यदि किसी खिलाड़ी का हाथ है, तो वह निश्चित ही सानिया मिर्जा हैं. उन्होंने ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंटों तक में सफलताएं पायी हैं, जिनके बारे में इनसे पहले कोई भारतीय महिला खिलाड़ी सोचती तक नहीं थी, परंतु 2005 में कुछ मौलानाओं ने उनके छोटी स्कर्ट पहन कर खेलने को इस्लाम के खिलाफ मान फतवा तक जारी कर दिया था, पर पक्के इरादे वाली सानिया ने अपनी मर्जी से चलना जारी रखा. महान टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस को भी कई बार ओलिंपिक में जोड़ी बनाने को लेकर अपमानित होना पड़ा. भारत में क्रिकेट से दीवानगी की हद तक प्यार किया जाता है. अभी कुछ समय पहले केएल राहुल लखनऊ सुपर जाएंट्स की कप्तानी कर रहे थे और उनकी टीम के हैदराबाद टीम से बुरी तरह से हार जाने पर उसके मालिक ने केएल राहुल को मैदान पर ही बेइज्जत कर दिया.

इस घटना की हर किसी ने निंदा की, पर सवाल यह है कि खेल संचालक के दिमाग में यह बात आयी ही क्यों. इसकी एक वजह यह लगती है कि आइपीएल जैसे खेल में मालिक बहुत पैसा लगाते हैं और उनका इरादा वसूली का होता है, इसलिए अपना आपा खोने की आशंका बनी रहती है. इसी तरह, कुछ समय पहले हार्दिक पांड्या को रोहित शर्मा के स्थान पर मुंबई इंडियंस का कप्तान बनाये जाने पर अपमानित किया गया था. हमें समझना होगा कि ऐसी घटनाओं से खेल का भला नहीं होने वाला है.


खेल फेडरेशनों का मकसद देश के लिए अच्छे खिलाड़ी तैयार करके ओलिंपिक, एशियाई खेल और कॉमनवेल्थ जैसे खेलों में ज्यादा से ज्यादा पदक जीतना होता है. हम सभी जानते हैं कि लवलीना एक ओलिंपिक पदक ला चुकी हैं तथा वह और पदक लाने की क्षमता रखती हैं, तो उन्हें अपने हिसाब से तैयारी का फेडरेशन को मौका देना चाहिए. इसलिए नियम ऐसे बनें, जिनसे खिलाड़ियों का हित सधे. ऐसा होने पर ही हम ओलिंपिक जैसे खेलों में दर्जनभर पदक जीत कर सही मायने में जश्न मना सकेंगे.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)