32.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

गंभीर रोगों पर ध्यान

गंभीर रोगों पर ध्यान

कोरोना महामारी से निपटने के चुनौतीपूर्ण कार्य का एक चिंताजनक पहलू यह भी है कि इस दौरान लॉकडाउन और विभिन्न पाबंदियों की वजह से अनेक गंभीर बीमारियों के पीड़ितों के उपचार में बाधा आयी है. तपेदिक (टीबी) ऐसा ही भयावह रोग है, जिससे हमारे देश में हर रोज 12 सौ से अधिक लोगों की मौत हो जाती है. यह बीमारी लाइलाज नहीं है, लेकिन सही समय पर जांच, उपचार और समुचित देखभाल न मिलने की वजह से इतनी बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं.

ऐसे में पीड़ितों को ज्यादा परेशानी होने के अलावा उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है. कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी भी भारत में महामारी का रूप लेती जा रही है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-14 के बीच हर एक लाख आबादी पर औसतन 80 से 110 लोग कैंसर से ग्रस्त हुए थे. पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों में तो यह अनुपात 150 से 200 के बीच रहा था. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार, 2018 में 11.6 लाख कैंसर के नये मामले भारत में आये थे और इस रोग से करीब 7.85 लाख लोगों की जान गयी थी.

कैंसर रोगियों की संख्या फिलहाल 22 लाख से अधिक है. इस रिपोर्ट का सबसे डरावना निष्कर्ष यह है कि हर दस में से एक भारतीय अपने जीवनकाल में कैंसरग्रस्त हो सकता है और हर पंद्रह में एक व्यक्ति की मौत हो सकती है. हमारे देश में कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू उत्पादों का सेवन है. जीवनशैली, कामकाज की जगहें, प्रदूषण आदि कारक भी जिम्मेदार हैं.

सरकारी अस्पतालों में कैंसर के निशुल्क या सस्ते उपचार की व्यवस्था है तथा आयुष्मान भारत समेत कुछ कल्याणकारी बीमा योजनाएं भी हैं. इसके बावजूद जागरूकता की कमी तथा अन्य खर्चों की वजह से गरीब और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए कैंसर बड़ी आर्थिक व मानसिक तबाही बनकर आता है. कैंसर के अस्पताल और विशेषज्ञ भी बहुत कम हैं और ज्यादातर बड़े शहरों में हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक, 60 फीसदी से अधिक भारतीय कभी-न-कभी उपचार के लिए निजी अस्पतालों का रुख करते हैं.

टीबी और कैंसर के मामले में यह आंकड़ा और भी अधिक है. कोविड महामारी ने हमारी स्वास्थ्य सेवा की कमियों को उजागर किया है. यदि कैंसर, टीबी और अन्य जानलेवा व तकलीफदेह बीमारियों के इलाज पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य की कोई महामारी कहीं अधिक खतरनाक हो सकती है तथा अन्य बीमारियां भी बढ़ सकती हैं.

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने, स्वास्थ्य केंद्रों का विस्तार करने, सस्ती दवाइयां मुहैया कराने और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने जैसे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए तेजी से काम करने की जरूरत है. रोगों के कारणों, बचाव, उपचार तथा सरकारी योजनाओं के बारे में व्यापक जागरूकता का प्रसार होना चाहिए.

Posted By : Sameer Oraon

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें