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मध्य व नव-मध्य वर्ग की दस्तक

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने ‘मध्य वर्ग आयोग’ के गठन की घोषणा की. शायद यह देश में पहला आयोग है जो मध्यम वर्ग को परिभाषित करेगा और उसके बारे में विचार करेगा. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी शहरी हो […]

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने ‘मध्य वर्ग आयोग’ के गठन की घोषणा की. शायद यह देश में पहला आयोग है जो मध्यम वर्ग को परिभाषित करेगा और उसके बारे में विचार करेगा. 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश की लगभग 30 प्रतिशत आबादी शहरी हो गयी है.

उच्च के साथ-साथ मध्य वर्ग को आर्थिक वृद्धि दर का फायदा मिला है. उसकी मुख्य मांगों में पारदर्शिता, कार्य के प्रति जवाबदेही और बेहतर सरकारी सेवाएं हैं. इसके अलावा शहरों में एक नव-मध्य वर्ग भी दिखने लगा है. इसमें वे लोग शामिल हैं, जो गरीब की श्रेणी से कुछ ऊपर आ गये हैं. इनकी प्रमुख चिंता नौकरी के मौकों में कमी, खराब इन्फ्रास्ट्रर, कुशासन एवं भ्रष्टाचार है. मध्य एवं नव-मध्य वर्ग की इन्हीं मांगों तथा चिंताओं को मुद्दा बना ‘आप’ ने सफलता पायी. अब इन्हें देश की राजनीति नजरअंदाज नहीं कर सकती.

चांद पप्पू, हजारीबाग

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