हम जानना चाहते हैं कि हमारे झारखंड में 592 मदरसा बिना सरकारी अनुदान से संचालित हैं. झारखंड सरकार ने सरकारी अनुदान देने के लिए इन सबकी बार-बार जांच करवा ली है.
इसके बाद भी सरकार इन मदरसाें को स्वीकृति क्यों नहीं देती है? और इन मदरसाें के शिक्षकों का वेतन क्यों लागू नहीं करता है? क्या सरकार को यह मालूम नहीं हुआ कि मदरसाें में सरकार की ओर से जो भी पुस्तकें दी जाती हैं, उसकी पढ़ाई होती है. साथ ही सामाजिक एवं धार्मिक शिक्षा भी दी जाती है़
कुर्बान, पाकुड.