तेलंगाना मामले पर सरकार और राजनीतिक दलों का रवैया देख कर लगता है कि यदि स्थानीय स्वशासन को हमने गंभीरतापूर्वक लिया होता तो भारत की एकता और अखंडता ज्यादा सुरक्षित होती, राजनीतिक दल कम स्वार्थी होते और समस्याओं का समाधान जल्द निकलता. अलग राज्यों के गठन से अधिक जरूरी यह है कि हम ग्राम पंचायतों, जिला परिषदों और नगर निकायों को काम करने की स्वतंत्रता व संसाधन उपलब्ध करायें. जेपी ने राजनीतिक दलों को इन निकायों के चुनाव से अलग रहने की सलाह दी थी. जब लोगों की समस्या का समाधान स्थानीय स्तर पर होगा तो लोग मुख्यमंत्री के जनता दरबार में नहीं जायेंगे. असली सुशासन तो वही होगा. लेकिन हमारे सांसद और विधायक अपने अधिकारों में कोई कमी नहीं चाहते. देश में अलगाववाद का एक प्रमुख कारण यही है.
विनय भट्ट, हजारीबाग