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संवेदनहीनता की पराकाष्ठा
विगत रविवार, 28 अगस्त को प्रभात खबर के ‘इन दिनों’ पन्ने पर ‘तीन तसवीरें और आगे बढ़ता हुआ देश!’ शीर्षक के साथ छपी रिपोर्ट ने दिल को झकझोर दिया़ इस रिपोर्ट के साथ तीन तसवीरें भी प्रदर्शित की गयीं. पहली तसवीर में ओडिशा के कालाहांडी में दाना मांझी नाम का एक शख्स किसी साधन के […]
विगत रविवार, 28 अगस्त को प्रभात खबर के ‘इन दिनों’ पन्ने पर ‘तीन तसवीरें और आगे बढ़ता हुआ देश!’ शीर्षक के साथ छपी रिपोर्ट ने दिल को झकझोर दिया़ इस रिपोर्ट के साथ तीन तसवीरें भी प्रदर्शित की गयीं. पहली तसवीर में ओडिशा के कालाहांडी में दाना मांझी नाम का एक शख्स किसी साधन के अभाव में अपनी पत्नी की लाश को कंधे पर लेकर जाते हुए दिखा़
दूसरी तसवीर ओडिशा के ही बालासोर की थी, जिसमें किराये के अभाव में 80 वर्षीय एक महिला की लाश को दो लोग तोड़ते नजर आये, ताकि उसकी लाश गठरी में ले जायी जा सके़ तीसरी तसवीर मध्य प्रदेश के जबलपुर की थी, जिसमें अगड़ी जाति के लोगों द्वारा शवयात्रा के लिए रास्ता न दिये जाने के कारण लोगों को तालाब पार कर श्मशान तक जाना पड़ा़ मानवीय संवेदनाओं को झकझोरनेवाली मृत देहों के साथ घटी घटना को बयां करतीं ये तसवीरें कई सवाल खड़े करती हैं.
क्या हम इतने पत्थर दिल हो चुके हैं कि अब लोगों के जीने या मरने से कोई फर्क नहीं पड़ता? कम से कम लाशों के साथ तो अच्छा बरताव करें!
अखिलेश्वर चतुर्वेदी, सोनारी, जमशेदपुर
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