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अफ्रीका दौरे की अहमियत

चार अफ्रीकी देशों के दौरे से चंद रोज पहले एक चैनल को दिये इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश नीति के बारे में कहा था, ‘एक वक्त वह था जब हम समंदर के किनारे लहरें गिना करते थे, अब वक्त आ गया है जब हम पतवार लेकर समंदर में उतरें.’ मोजाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया और […]

चार अफ्रीकी देशों के दौरे से चंद रोज पहले एक चैनल को दिये इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश नीति के बारे में कहा था, ‘एक वक्त वह था जब हम समंदर के किनारे लहरें गिना करते थे, अब वक्त आ गया है जब हम पतवार लेकर समंदर में उतरें.’ मोजाम्बिक, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया और केन्या दौरे में प्रधानमंत्री का यही आशावाद साकार हुआ है.
दौरे से पहले यह स्पष्ट था कि अफ्रीकी मुल्कों में मौजूद प्राकृतिक संसाधन और बाजार पर चीन व अमेरिका जैसी बड़ी आर्थिक ताकतों की दिलचस्पी एक अरसे से बढ़ी हुई है और मामला कोरी स्लेट पर मनचाही इबारत लिखने जैसा न होकर प्रतिस्पर्धात्मक रहनेवाला है. ऐसे में अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार और निवेश की संभावनाएं तभी बढ़ सकती हैं, जब भारत उनकी जरूरतों के अनुकूल व्यापार मॉडल पेश करे. प्रधानमंत्री ने यही किया, जो इस दौरे की बड़ी उपलब्धि है.
अफ्रीकी देशों के साथ चीन का व्यापार 2014 में 200 अरब डॉलर का था, अमेरिका का 100 अरब डॉलर का, लेकिन भारत का 70 अरब डॉलर का. चीन अफ्रीकी देशों को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सस्ते कर्ज देता है और वहां से प्राकृतिक संसाधनों का आयात कर तैयार माल, खासकर कपड़े और इलेक्ट्रॉनिक्स, का निर्यात करता है. अफ्रीकी मुल्क चीन या अमेरिका के साथ व्यापार के ऐसे मॉडल को दोहनकारी मानते हैं और उनका जोर कृषि, उद्योग और बुनियादी ढांचे के विकास में आत्मनिर्भर होने पर है.
प्रधानमंत्री ने अफ्रीकी देशों की इसी जरूरत के अनुरूप एक तो अपने दौरे के लिए उन देशों को चुना, जो अफ्रीकी महादेश में तेज गति से विकास करनेवाले मुल्कों में शुमार हैं. दूसरे उन्होंने इन देशों के नेताओं और निवेशकों के सामने स्पष्ट किया कि भारत अफ्रीकी देशों के साथ पारस्परिक फायदे के लिए साझेदारी करना चाहता है, उनका इरादा अफ्रीकी मुल्कों में बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन का विकास करने का है, वहां मौजूद संसाधनों को हासिल कर तैयार माल से अफ्रीकी बाजारों को पाटने का नहीं.
इसी के अनुरूप भारत ने मोजाम्बिक को खेतीबाड़ी के मामले विशिष्ट सेवा देने तथा चालू वित्तवर्ष में 1 लाख टन दाल आयात करने का करार किया है, तंजानिया को उसके शहरों में जलापूर्ति की व्यवस्था बेहतर बनाने के लिए सस्ते कर्ज देने की बात कही है, दक्षिण अफ्रीका को न्योता दिया है कि वह रक्षा क्षेत्र में भारत में निवेश करे और केन्या के साथ दवाओं की सामग्री के निर्यात में सहयोग की बात आगे बढ़ी है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि अफ्रीकी देशों में मौजूद भारतवंशी समुदाय के सहारे आनेवाले समय में अफ्रीकी देशों के साथ भारत का व्यापार कई गुना बढ़ेगा.

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