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ई सब निजाम का फरक है भाई..

।। चंचल ।। (सामाजिक कार्यकर्ता) किसने कहा कि खबर अपाहिज होती है? जनाबेआली! यह बकायदे चलती-फिरती है, बल्कि ज्यादा दुरुस्त तो यह है कि यह उड़ती है और रोशनी से भी तेज गति से. जहां उतरती है वहां हलचल भी होती है. बरखुरदार! यह जो हलचल है न, यही इनसान को उसकी तमीज बताती है. […]

।। चंचल ।।

(सामाजिक कार्यकर्ता)

किसने कहा कि खबर अपाहिज होती है? जनाबेआली! यह बकायदे चलती-फिरती है, बल्कि ज्यादा दुरुस्त तो यह है कि यह उड़ती है और रोशनी से भी तेज गति से. जहां उतरती है वहां हलचल भी होती है. बरखुरदार! यह जो हलचल है न, यही इनसान को उसकी तमीज बताती है. बात जारी है, लेकिन खांसी का क्या करें, कम्बख्त ऐन वक्त पर नाक में दम कर देती है, वरना हम भी आदमी थे काम के. कयूम मियां को अपनी खांसी से यही शिकायत रही है. उमर दरजी की कैंची किसी के आस्तीन पर चलते-चलते रुक गयी-मियां! यह जो खांसी है न, यह आम आदमी को है. यह राष्ट्रीय रोग है. हमारे अब्बा हुजूर किसी जमाने में चंद्रबली बैदराज के शागिर्द थे. ऐसे रोगों का इलाज जड़ी-बूटी से किया करते थे. एक बार का वाकया सुनाया. जिस तरह से आप खांसते हैं न, इसी तरह से अब्बा हुजूर के बादशाह भी खांसने लगे.

बादशाह? अब्बा हुजूर के बादशाह? मियां हम भी इसी गांव में पैदा हुए हैं, तुमसे पहले हम आमद भी हुए हैं. तुम्हारे अब्बा हुजूर से हमारी रब्त भी रही पर हमने किसी बादशाह को तो नहीं देखा? कयूम के सवाल ने उमर को हंसा दिया- चचा जान! बादशाह उनके कुत्ते का नाम था. यह उस जमाने की बात है, जब बादशाहत जमींदोज हो चुकी थी. सारे बादशाह तवारीख के पन्नों पर राज करने चले गये थे, मुल्क को अंग्रेज चला रहे थे. कयूम को जोर की हंसी आयी. टामी सुबह की धूप में सोने की कोशिश कर रहा था, वह कुनमुनाया और बैठ गया. कान फड़फड़ाया और उठ कर तना. उमर ने उसे समझाया-सो जाओ टामी. कयूम चचा हैं. टामी ने उमर को देखा और पूंछ हिलाने लगा फिर सो गया. टामी को कयूम ने गौर से देखा- इनसान की फितरत देखो उमर. जब अंग्रेज यहां से गया तो कुत्तों का नाम अंग्रेजी हो गया. इसी एन वक्त पर चिखुरी, लाल्साहेब, लखन कहार, नवल उपाधिया. गरज यह कि पूरी चौराहे की टीम उमर के ‘न्यू बाम्बे टेलरिंग’ पर आ गिरी.

उमर ने उठ कर सब का स्वागत किया. खटिया, तिपाई, बेंच सब बाहर धूप में और लोग अपने-अपने आसन पर. उमर की बीवी उठ के चली गयी चाय-पानी बोलने. मौके की नजाकत देख टामी खुद हट गया और रामलाल की खाली पड़ी जमीन पर सो रहा. चिखुरी ने सवाल उठाया- आज किस बात पर दोनों जन उलङो रहे हो भाई? कयूम ने डोर लपेटा- बात हो रही थी खबर के उड़ने की. तो आज कौन सी खबर उड़ी? नवल उपाधिया से कयूम की नोक-झोंक चलती रहती है, चुनांचे जब नवल की तरफ से यह सवाल उठा, तो कयूम मियां मुस्कुरा दिये – बेटा नवल! आदत सुधार लो. एक बार में एक ही काम किया करो. यां तो सवाल पूछो यां यह जो ‘ईल’ हरकत कर रहे हो, इसे पूरा करके आओ. नवल खैनी बना रहे थे. लोग जोर से हंसे, लेकिन चिखुरी मूछो में ही मुस्कुरा कर रह गये. कयूम ने बोला-खबर है कि दिल्ली का वजीर थानादार को हटाने के लिए धरना दे रहा है. ऐसा पहली दफा है. सच्चाई का है, किसी को भी ना मालूम. निजाम का फरक देखिए, अपने हियां वजीरेआला तो बड़ी चीज है, उसका चिरंजिया भी थाने में घुस जाये, तो थानादार दुम दबाये हाथ जोड़े खड़ा रहता है. एक दिल्ली है कि उसका मुख्यमंत्री रजाई ओढ़े रात भर लेटा रहा. कहता रहा, दरोगा हटाओ. असलियत का है? दिल्ली में दिल्ली की सरकार कुछ नहीं होती. वहां देश की सरकार की चलती है. ऐसा क्यों?

क्योंकि वहां संसद है, राष्ट्रपति है, विदेशी सरकारों के नुमाइंदे हैं, सब दिल्ली में ही तो हैं और सबके हिफाजत की जिम्मेवारी घरमंत्री की बनती है. चुनांचे पुलिस केंद्र के पास है. किसे हटाना है किसे रखना है यह उनका काम है. चिखुरी की बात से कयूम मुतमईन हुए. लेकिन चिखुरी जारी रहे. भैया पुलिस को सब जानते हैं. लखीसराय से लेकर लखनऊ तक की पुलिस एकै तरह की है. जरूरत है पुलिस सुधारने की. जरूरत है कि पुलिस को भी आदमी ही समझा जाये और उन्हें कम से कम वही सुविधाएं मिलें, जिसे एक इनसान के लिए जरूरी समझा जाता है. उन्हें भी आदमी समझ कर उनके काम के घंटे तय किये जायें.

-तो इतनी सी बात मुख्यमंत्री नहीं समझते?

-नहीं समझत हैं और खूब समझत हैं. लेकिन यह राजनीति है. एक लकीर को छोटा करने के लिए उसे मिटाते नहीं, बल्कि उसके नीचे एक बड़ी लकीर खींचते हैं. मुख्यमंत्री वही कर रहे हैं. उनसे कोई पूछे, थानादार को हटा कर उसकी जगह क्या संन्यासी बैठेगा? फिर पुलिसवाला आम आदमी नहीं होता क्या? थोड़ी देर चुप रहने के बाद कयूम मियां बोले- अगर हम मुख्यमंत्री होते तो दिल्ली को लेकर रेवाड़ी चले जाते. यह रेवाड़ी क्या है? हरियाणा की एक बस्ती है.

लोग हंस दिये. कयूम संजीदा हो गये. हंस लीजिए. मोहम्मद बिन तुगलक पर भी लोग हंसते हैं..

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