19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

यूरोप की एकता का इतिहास

आकार पटेल कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया यूरोपीय संघ बनाने की परियोजना दुनिया का सबसे पुराना विचार है. इस संघ से बाहर निकलने का ब्रिटिश निर्णय इस प्राचीन परियोजना का सबसे नया अध्याय है. यूनानी अपने उत्तरी और पश्चिमी यूरोपीय पड़ोसियों के बारे में अधिक नहीं सोचते थे. वे उन्हें बर्बर मानते थे, क्योंकि उन्हें […]

आकार पटेल
कार्यकारी निदेशक, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया
यूरोपीय संघ बनाने की परियोजना दुनिया का सबसे पुराना विचार है. इस संघ से बाहर निकलने का ब्रिटिश निर्णय इस प्राचीन परियोजना का सबसे नया अध्याय है. यूनानी अपने उत्तरी और पश्चिमी यूरोपीय पड़ोसियों के बारे में अधिक नहीं सोचते थे. वे उन्हें बर्बर मानते थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि उनकी भाषाओं की ध्वनि ‘बर-बर’ जैसी है.
मकदुनिया के सिकंदर महान की भी यूरोप में रुचि नहीं थी. उसने दक्षिण से आकर पहले यूनान पर कब्जा किया और फिर पूर्व का रुख करते हुए एशिया की ओर बढ़ा. मिस्र में कुछ समय बिताने के बाद उसने फारस (ईरान), मध्य एशिया के बड़े हिस्से और अफगान को जीता. इसके बाद उसे अपने जीवन का सबसे कड़ा संघर्ष पंजाब में झेलते हुए वापस लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा.
ईरान में 33 साल की उम्र में उसकी मौत हो गयी.
सिकंदर के तीन सदी बाद जूलियस सीजर ने सबसे पहले यूरोप को एक झंडे के नीचे लाने में काफी कामयाबी हासिल की. ईसा के जन्म से कुछ दशक पहले सीजर ने इतालवी सेना का नेतृत्व करते हुए फ्रांस और जर्मनी को कब्जे में लिया और उनकी कई जंगली जनजातियों को भी अपने अधीनस्थ कर लिया. सीजर इटालवी लोगों को लेकर इंगलैंड में भी घुसा. लंदन (लंदन ने ब्रेक्जिट के विरुद्ध वोट डाला है) के महानगरीय चरित्र का इतिहास उसी समय से शुरू होता है.
उस दौर में समूचा यूरोप रोम से शासित होता था.
सीजर के उत्तराधिकारी आगस्टस ने नौवीं सदी में जर्मनी के टेयूटूबोर्ग के जंगलों में भारी हार के बाद रोमन साम्राज्य के उत्तरी हिस्से में विस्तार को रोक दिया. तब यूरोप की पूरी शहरी और सभ्य आबादी महाद्वीप के दक्षिणी हिस्से में रहती थी. आज दुनियाभर में आर्थिक तौर पर सबसे अधिक संपन्न यूरोप का उत्तरी हिस्सा उस समय एक जंगली इलाका था, जिसके लिए युद्ध करना बेमानी था. इसके बाद रोमन सेनाओं के पूर्व में येरूशलम और सीरिया की ओर अभियान का सिलसिला शुरू हुआ. रोमनों ने अपने साम्राज्य की नयी राजधानी बसायी, जिसे आज इस्तांबुल के नाम से जाना जाता है.
पश्चिम में अपढ़ और बिना लिपि की जर्मन जनजातियों ने पांचवीं सदी तक रोम को रौंद डाला था. इस दौर को अंधकार का युग कहा जाता है. यूरोप में लेखन और अध्ययन के क्षेत्र में गिरावट आने लगी थी.
इसका आंशिक कारण मिस्र पर मुसलमानों का कब्जा था, जिन्होंने पेपिरस नामक एक मात्र उपलब्ध कागज के यूरोप निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी. इससे यूरोप में किताबों के लिखने और आसानी से उनकी नकल का काम बंद हो गया.
यूरोप को एकजुट करने का नया उद्देश्य ईसाईयत के रूप में सामने आया. उसी दौरान स्पेन पर अरबों की जीत ने इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए भय का माहौल पैदा किया (जैसा आज उन्हें सीरियाई अप्रवासियों का डर सता रहा है).
रोम के पोप ने एक जर्मन आदिवासी मुखिया चार्ल्स को पहला रोमन साम्राज्य घोषित कर दिया. उसके ऐतिहासिक नाम चार्लमैग्ने का मतलब होता है चार्ल्स द ग्रेट. बाद की सदियों में यूरोप में सामंतवाद और कई बड़े शाही राज्यों का अभ्युदय हुआ. शक्तिशाली राजाओं, खासकर फ्रांस और इंगलैंड के, ने यूरोप को आपस में बांट कर शासन करने लगे. चार्ल्स द ग्रेट के पड़पोते चार्ल्स द फैट उस दौर में एकीकृत यूरोप पर शासन करनेवाला अंतिम राजा था.
इसके बाद रोम का चर्च सैन्य और राजनीतिक शक्ति के तौर पर स्थापित हुआ. उसने यूरोप के राजाओं को येरूशलम को दोबारा कब्जे में लेने के लिए प्रेरित किया. इस असफल युद्ध को क्रुसेड यानी धर्मयुद्ध का नाम दिया गया.
पहले जर्मनी और फिर इंगलैंड में प्रोटेस्टेंट आंदोलन के चलते यूरोप में ईसाईयत के नाम पर बनी एकजुटता टूट गयी और चर्च की ताकत कम हुई. उधर पूर्व में मुसलिमों की शक्ति में बढ़ोतरी हुई. वैज्ञानिक क्रांति ने एक बार फिर यूरोपीय दबदबे को वापस ला दिया, जो रोमन साम्राज्य के दौर में था. सैन्य तकनीकों की मदद से नेपोलियन ने कुछ समय के लिए यूरोप को एकीकृत कर दिया.
बीते हजार सालों में ऐसा पहली बार हुआ था.
हिटलर ने 1940 के दशक के शुरुआती दिनों में एक बार फिर से यूरोप को सैन्य रूप से एकजुट कर दिया था, जब कुछ महीनों में ही उसकी सेना ने पूरे महादेश को जीत लिया था. इटली जैसे जिन हिस्सों पर हिटलर काबिज नहीं हो सका, वे या तो बाद में जीते गये या फिर उसके सहयोगी बन गये. तब केवल ब्रिटिश द्वीप समूह ही उसके नियंत्रण से बाहर था.
द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति और रूस के अभ्युदय ने भी यूरोप को सैन्य रूप से एकीकृत रखा. सैन्य संगठन नाटो के गठन के जरिये ऐसा हो सका, जिसका मुख्यालय ब्रसेल्स में है, पर उसकी असली ताकत अमेरिका के पास है. यह सहयोग यूरोपीय संघ बन जाने के बाद भी कायम रहा है.
यूरोपीय संघ का मुख्यालय भी ब्रसेल्स में है और उसकी इमारत चार्लमैग्ने मागेन के नाम पर है. ढाई दशक पहले जर्मनी के एकीकरण के बाद यूरोपीय संघ का वास्तविक सत्ता केंद्र बर्लिन बन गया.
चार्लमैग्ने से लेकर यूरोपीय संघ तक एकीकृत यूरोप की परियोजना लगातार जारी रही, सिर्फ उसके आधार बदलते रहे- कभी सैन्य विस्तार, कभी धर्म तो कभी व्यापार. देशों की राष्ट्रीय सीमाएं और भाषाएं कई बार बदली गयी हैं. ब्रिटेन के अलग होने का फैसला इस लंबे इतिहास में बस एक ताजा परिघटना है.
बहरहाल, इस आलेख को मैं एक दिलचस्प विवरण के साथ खत्म कर रहा हूं. फ्रांस का नाम एक जर्मन जनजाति फ्रैंक से निकला है, जिसने फ्रांसीसी हिस्से को जीता था, और वे मौजूदा फ्रांसीसी लोगों के साथ घुल-मिल गये.
इसी समुदाय ने जर्मन शहर फ्रैंकफर्ट का नाम भी दिया है. इंगलैंड का मतलब एंजिल्स की धरती है. एंजिल्स उत्तरी जर्मनी का एक जनजाति समूह था, जिसने सदियों पहले इंगलैंड पर कब्जा किया था. एक अन्य जर्मन जनजाति के नाम पर उत्तरी इटली को लोम्बार्डी कहा जाता है. इस लिहाज से जर्मनों ने अपनी नस्ल के जरिये यूरोप को पहले ही एकीकृत कर लिया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें