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भ्रष्टाचार से जंग
कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि भ्रष्टाचार एक विश्वव्यापी तथ्य है. अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2015 की रिपोर्ट भी इसी सच को इंगित करती है कि दुनिया के सभी देशों में भ्रष्टाचार कमोबेश मौजूद है. लेकिन, भारत के लिए यह सूचना चिंताजनक है कि हमारे देश में इस समस्या की गंभीर […]
कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि भ्रष्टाचार एक विश्वव्यापी तथ्य है. अंतरराष्ट्रीय संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की 2015 की रिपोर्ट भी इसी सच को इंगित करती है कि दुनिया के सभी देशों में भ्रष्टाचार कमोबेश मौजूद है.
लेकिन, भारत के लिए यह सूचना चिंताजनक है कि हमारे देश में इस समस्या की गंभीर व्याप्ति बनी हुई है. हालांकि, 168 देशों के ‘भ्रष्टाचार अवधारणा इंडेक्स’ में भारत नौ अंकों के सुधार के साथ 76वें स्थान पर आ गया है, लेकिन 100 के मापक सूचकांक में पिछले वर्ष की तरह भारत का प्राप्तांक 38 ही है. थाईलैंड, ब्राजील, ट्यूनीशिया, जांबिया और बुर्किनाफासो का स्तर भी भारत के समतुल्य है.
करीब चार वर्ष पूर्व यूपीए सरकार के शासनकाल में कई बड़े घोटालों के सामने आने के बाद भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन खड़ा हुआ था, जिसकी परिणति यूपीए की हार के रूप में हुई थी. 2014 के आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने शीर्ष स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार और कालेधन पर लगाम लगाने का वादा किया था. ऐसे में जनता को नयी सरकार से काफी उम्मीदें थीं. लेकिन, यह रिपोर्ट जाहिर करती है कि देश में भ्रष्टाचार से जुड़ी जमीनी हकीकत में अभी बहुत बदलाव नहीं आया है. हालांकि, सरकार की ओर से इस संबंध में कुछ उल्लेखनीय कदम उठाये गये हैं. कालाधन पैदा होने की प्रक्रिया पर अंकुश लगाने के लिए नया कानून बनाया गया है.
विदेशों में जमा कालेधन को वापस लाने की कोशिशें भी जारी हैं. कर चोरी के खुलासे या आपराधिक तौर पर अर्जित धन को बाहर लाने की योजना भी सराहनीय रही है. लेकिन, ध्यान रखना होगा कि नियमों और कानूनों के संजाल से भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता रहा है. सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों में कई विभागों की भागीदारी होती है तथा लोगों को संस्तुति एवं अनुमति के लिए कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं.
ऑनलाइन आवेदन, सिंगल विंडो, प्रक्रियाओं का डिजिटलाइजेशन, स्व-सत्यापन, अनुदान और वित्तीय लाभ को सीधे खाते में स्थानांतरित करना, कराधान प्रणाली में सुधार जैसे कदम भ्रष्टाचार को रोकने में कारगर हो सकते हैं. लेकिन, इसके सकारात्मक नतीजों के लिए सरकार और प्रशासनिक तंत्र को सचेत रहना होगा.
आबकारी और राजस्व विभागों के गैरजिम्मेवार अधिकारियों पर कार्रवाई करने का प्रधानमंत्री का निर्देश इस बात का संकेत है कि राजनीतिक नेतृत्व अपने वादे को लेकर मुस्तैद है और आगामी वर्षों में अच्छे नतीजे सामने आ सकते हैं. देश के सजग नागरिकों को भी भ्रष्टाचार से जंग में सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए.
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