10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कांग्रेस की सीनाजोरी

संसद में कांग्रेस द्वारा लगातार चौथे दिन हंगामा करना एक खतरनाक परंपरा का संकेत दे रहा है. देश की जनता की सर्वोच्च प्रातिनिधिक संस्था संसद का काम देश और जनहित में नीतियां बनाना तथा सरकार के क्रियाकलापों पर नजर रखना है. लेकिन, कांग्रेसियों के हंगामे के कारण संसद अपने तय कार्यक्रम के अनुरूप नहीं चल […]

संसद में कांग्रेस द्वारा लगातार चौथे दिन हंगामा करना एक खतरनाक परंपरा का संकेत दे रहा है. देश की जनता की सर्वोच्च प्रातिनिधिक संस्था संसद का काम देश और जनहित में नीतियां बनाना तथा सरकार के क्रियाकलापों पर नजर रखना है.
लेकिन, कांग्रेसियों के हंगामे के कारण संसद अपने तय कार्यक्रम के अनुरूप नहीं चल पा रही है. ‘नेशनल हेराल्ड’ से जुड़े हेराफेरी के केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को हाजिर होने का आदेश अदालत से मिला है. इसमें आर्थिक अनियमितता के आरोपों का जवाब संबद्ध लोगों को अदालत को देना है. इस पूरे प्रकरण का संसद से न तो कोई तकनीकी संबंध है, न ही सरकार या सत्तारूढ़ भाजपा इस मामले में कोई पक्ष है.
जाहिर है, अगर कांग्रेसी नेता बेदाग हैं, तो उन्हें अदालती आदेश का सम्मान करते हुए कानून के मुताबिक आचरण करना चाहिए. अगर ‘राजनीतिक बदला के लिए मुकदमा दर्ज कराने’ के कांग्रेस के आरोप को एक क्षण के लिए मान भी लें, तो कायदे से पार्टी को दोनों सदनों में अपनी बात रखने की औपचारिक अनुमति मांगनी चाहिए. पार्टी के सामने राष्ट्रपति के पास अर्जी देने का विकल्प भी है.
लेकिन, उसका रवैया एक प्रसिद्ध मुहावरे को चरितार्थ करता प्रतीत हो रहा है- एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि कांग्रेस को कानूनी व्यवस्थाओं के मुताबिक अदालत जाने में संकोच क्यों हो रहा है? संसद के कामकाज में अड़ंगा डाल कर कांग्रेस कैसा लोकतांत्रिक उदाहरण देश के सामने रखना चाहती है? संसदीय प्रक्रियाओं को उद्दंडता के हाथों गिरवी रख कर पार्टी क्या संदेश देना चाहती है?
उसे अहसास होना चाहिए कि भ्रष्टाचार और घोटालों के मामले उजागर होने के कारण ही पिछले साल उसे ऐतिहासिक पराजय का मुंह देखना पड़ा था. ‘नेशनल हेराल्ड’ केस को भी जनता भ्रष्टाचार का ही मामला मान रही है. अपने दो शीर्ष नेताओं को बचाने के प्रयास में कांग्रेसी सांसद जो हरकतें कर रहे हैं, वे अशोभनीय तो हैं ही, इनसे न्यायपालिका पर दबाव डालने की एक खतरनाक परंपरा का प्रारंभ भी हो सकता है.
कांग्रेस के मौजूदा पैंतरों को देख कर तो यही लग रहा है कि यह पार्टी अब एक परिवार-विशेष के प्रति निष्ठा को देश के हितों से अधिक तरजीह दे रही है. अगर कांग्रेस अब भी नहीं चेती, उसने अपने रवैये में तत्काल सुधार नहीं किया, तो उसकी राजनीतिक साख और गिरने के साथ ही लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को भी दीर्घकालिक नुकसान होगा, जो लोकतंत्र के लिए निश्चित रूप से शुभ नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें