जिस दिन हम आतंकवाद को धर्म से जोड़ देंगे, उसी दिन हम इन आतंकियों के बुरे जाल में फंस जायेंगे. सियासी स्वार्थ के लिए आतंकवाद को मजहब या धर्म के चश्मे से न देखें, क्योंकि तभी धर्म का दुरुपयोग करनेवाले तत्वों को पराजित किया जा सकेगा. मजबूत सांस्कृतिक और सामाजिक एकजुटता, जीवंत और सुदृढ़ प्रजातंत्र होने के कारण भारत में आतंकवाद अपनी जड़ें नहीं जमा पाया है. कट्टरवाद पर लगाम लगाने की भारत की नीति कारगर रही है.
विभिन्न भाषाओं, धर्मों, जातियां के होने के बावजूद भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता और आपसी सौहार्द्र के कारण आतंकवादी गुट देश के युवाओं को भ्रमित करने में असफल रहे हैं. समाज, धर्म गुरुओं, मीडिया ने इसमें एक अहम भूमिका निभाई है. इस्लाम शांति और भाईचारे का संदेश देनेवाला धर्म है. मुस्लिम शांति प्रिय हैं, जो हिंसा और आतंकवाद का विरोध करते हैं. हमें यह याद रखना चाहिए कि इस्लाम में सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, लैंगिक समानता और जनतांत्रिक मूल्यों को तवज्जो दी गयी है और उसने शांति और स्थिरता का संदेश दिया है. इन्हें और मजबूत व प्रभावशाली बनाने की जरूरत है, जिससे अपने स्वार्थ के लिए धर्म का दुरुपयोग करनेवाले तत्वों को पराजित और अलग-थलग किया जा सके.
इसके लिए हम सभी को बिना किसी भेद-भाव के आपसी भाईचारे के साथ देश और समाज के अराजक तत्वों से लोहा लेना होगा. यह तभी संभव होगा, जब हम राजनीति और कट्टरता को छोड़ समाज और देश हित में सोचेंगे. इसके लिए हम सभी अपने-अपने नजरिये को भी बदलना होगा. तभी देश में अमन-चैन होगा.
Àअमृत कुमार, खलारी