झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आदेश दिया है कि टेट (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास अभ्यर्थियों की बहाली की प्रक्रिया शुरू करें और राज्य स्थापना दिवस यानी 15 नवंबर को सामूहिक नियुक्ति पत्र बांट दें. मुख्यमंत्री का यह कदम सराहनीय है जिसका दूरगामी असर पड़ेगा. बार-बार नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गयी है. इससे राज्य को खराब संदेश गया है.
पड़ोसी राज्य बिहार में हर साल बड़े पैमाने पर शिक्षकों की बहाली हो रही है, शिक्षा का स्तर बेहतर हो रहा है लेकिन झारखंड में एक से एक कानूनी अड़चन लगा कर सारा काम रोक दिया गया है. स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. पद खाली हैं. 13 साल से यही हो रहा है. परीक्षा नहीं ली जाती है. ली जाती है तो रिजल्ट नहीं निकलता. रिजल्ट निकलता भी है तो बहाली नहीं होती. मुख्यमंत्री के इस आदेश से आशा की किरण दिखाई देती है. सरकार के लिए यह बड़ी चुनौती है. 13-14 दिनों में सारी तैयारी करनी होगी. अगर राज्य के अधिकारी यह काम कर लेते हैं, बहाली हो जाती है, तो सरकार की छवि बेहतर बनेगी.
इसमें परेशानी भी आयेगी. एक बड़ा वर्ग स्थानीयता का सवाल खड़ा कर सकता है. जो भी करना है, करिये पर बहाली होनी चाहिए. न सिर्फ शिक्षकों की, बल्कि जहां-जहां पद खाली हैं, वहां बहाली होने लगे तो लोगों को रोजगार मिलेगा. इससे यह संदेश जायेगा कि यह सरकार सिर्फ बोलती नहीं है काम करके भी दिखाती है. सच तो यह है कि जितने लोग टेट पास हैं, शिक्षकों के उससे ज्यादा पद खाली हैं. सवाल है इच्छाशक्ति का. अगर मुख्यमंत्री तय कर लें कि बहाली करनी ही है, तो यह काम हो सकता है.
चुनौती स्वीकारनी होगी. इसका राजनीतिक लाभ भी सरकार को मिलेगा. गुवा गोलीकांड के शहीदों को मुख्यमंत्री नौकरी दे चुके हैं. वह एक ऐतिहासिक फैसला था. उससे लोगों में उम्मीद बंधी है कि अन्य शहीदों के साथ भी न्याय होगा. इस बार जब हेमंत सोरेन ने टेट पास अभ्यर्थियों को नौकरी देने की घोषणा कर रहे हैं, तो यह संभव लग रहा है. राज्य में अगर लोगों को रोजगार मिलने लगे, तो बेहतर माहौल बनने लगेगा. ऐसे कामों में सभी मंत्रियों का सहयोग मिले तो सरकार की छवि बेहतर होगी. राज्य की बेहतरी के लिए काम होना चाहिए. सीएम की घोषणा इसी की एक अहम कड़ी है.