दीपावली काफी रौनकता, भव्यता और अंधेरे को खत्म करने के लिए प्रकाश फैलाने का पर्व है. दीपों और मिठाइयों का यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है, साथ ही कमोबेश दुनिया के हर देश में मनाया जाता हैं. लेकिन आज ऊंचे और कर्णभेदी शोरवाले पटाखों के कारण इसका सांस्कृतिक अर्थ मद्धिम पड़ता नजर आ रहा है. दीपावली पर हम हर साल हजारों रुपयों के पटाखे जला डालते हैं, यह तो पैसों को आग लगाने के बराबर है.
इन पैसों से जरूरतमंदों को खुशी दी जा सकती है. पटाखों से प्रदूषण और दुर्घटनाएं हो रही हैं. कृत्रिम रंगीन लाइटों की जगह हम एक दीया जलाकर ही पर्याप्त रोशनी युक्त दीपावली मना सकते हैं. दीपावली के दिन एक -दूसरे को मिठाई खिलाकर, पूरे परिवार-समाज के साथ खुशियां मनाकर, मिलकर मोमबत्ती व दिया जलाकर कहीं अधिक आनंद की प्रप्ति होती है.
शुभदीप साधु, बिंदापाथर, जामताड़ा