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दाल का उत्पादन बढ़ाने की हो कवायद
प्रभात खबर में बीते नौ अक्तूबर को प्रकाशित रमेश कुमार दुबे का लेख ‘दाल का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत’ देश की ज्वलंत समस्या पर गंभीर चिंतन है. महंगी होती दाल की कीमतें आयात करने से नहीं, बल्कि देश में उत्पादन बढ़ाने से कम होगी. दाल भारतीय भोजन की अनिवार्य वस्तु है. ‘दाल रोटी खाओ, हरि […]
प्रभात खबर में बीते नौ अक्तूबर को प्रकाशित रमेश कुमार दुबे का लेख ‘दाल का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत’ देश की ज्वलंत समस्या पर गंभीर चिंतन है. महंगी होती दाल की कीमतें आयात करने से नहीं, बल्कि देश में उत्पादन बढ़ाने से कम होगी. दाल भारतीय भोजन की अनिवार्य वस्तु है.
‘दाल रोटी खाओ, हरि का गुण गाओ’ अपने देश की प्राचीन प्रचलित कहावत है. भात के साथ भी दाल का अटूट संबंध है. देश के प्राय: सभी हिस्सों में भात के साथ दाल बड़े चाव से खायी जाती है. दाल से हमारे शरीर को प्रोटीन मिलता है, जो भोजन के अतिआवश्यक पोषक तत्व है.
अरहर, उड़द, मूंग, मसूर, कुलथी, खेसारी आदि दालें भारत में ही उपजती हैं. दाल का उत्पादन घटने के कारणों पर विचार करना आवश्यक है. अरहर, उड़द और कुलथी भीठा जमीन पर उपजती है. सरकार को लोगों को दाल की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
– भगवान ठाकुर, तेनुघाट
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