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बड़े-बुजुर्गो की भी सुनें आज के युवा

आज की युवा पीढ़ी आधुनिकता की दौड़ में अंधी हुई जा रही है. 21वीं सदी की आधुनिकता आज युवा वर्ग में गहराई तक रच-बस गयी है और जिसके साथ लोग बहुत आगे निकल चुके हैं. आज की युवा पीढ़ी प्राचीन भारत की संस्कृति और सभ्यताओं को कमतर मानती है. यह पश्चिमी सभ्यता की ही देन […]

आज की युवा पीढ़ी आधुनिकता की दौड़ में अंधी हुई जा रही है. 21वीं सदी की आधुनिकता आज युवा वर्ग में गहराई तक रच-बस गयी है और जिसके साथ लोग बहुत आगे निकल चुके हैं. आज की युवा पीढ़ी प्राचीन भारत की संस्कृति और सभ्यताओं को कमतर मानती है. यह पश्चिमी सभ्यता की ही देन है कि युवा पीढ़ी भरतीय संस्कृति को पीछे छोड़ती जा रही है.

आज के युवा वर्ग की धारणा यह हो गयी है कि उनके भविष्य की दिशा का निर्धारण वे खुद बेहतर ढंग से कर सकते हैं और इसमें उन्हें किसी की सलाह की कोई जरूरत नहीं रह गयी है, माता-पिता और बड़े-बुजुर्गो की तो हरगिज नहीं. पश्चिमी सभ्यता ने हमारे युवाओं के दिल में पूरी तरह से जगह बना ली है, मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार से. यही हाल रहा तो अगली पीढ़ी के मां-बाप के लिए बच्चों को संभालना मुश्किल हो जायेगा.

राधिका मिंज, ई-मेल से

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