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कब सुधरेगी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा
देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली कहने ही जरूरत नहीं है. सरकारी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अन्य छोटे-बड़े अस्पताल अपनी हालत खुद ही बता रहे हैं. रोगियों को समुचित चिकित्सकीय सुविधा देने के बजाय निजी प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान देनेवाले डॉक्टर अस्पतालों में इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही करते नजर आते […]
देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली कहने ही जरूरत नहीं है. सरकारी अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और अन्य छोटे-बड़े अस्पताल अपनी हालत खुद ही बता रहे हैं. रोगियों को समुचित चिकित्सकीय सुविधा देने के बजाय निजी प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान देनेवाले डॉक्टर अस्पतालों में इलाज के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही करते नजर आते हैं.
इस समय देश में लोग अनेक गंभीर और संक्रामक रोग के शिकार हो रहे हैं. इलाज के लिए उन्हें एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल की दौड़ लगानी पड़ रही है. जिनके पास संसाधन हैं, वे निजी अस्पताल और नर्सिंग होम्स की ओर रुख कर रहे हैं, तो साधनहीन गरीब अस्पताल में तड़पते हुए नजर आ रहे हैं. देश में हर साल हजारों एमबीबीएस विभिन्न मेडिकल कॉलेजों से पास होकर निकलते हैं. फिर भी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी बरकरार है. आखिर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में कब सुधार होगा?
अनुराग मिश्र, पटना
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