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कॉल ड्रॉप पर सख्ती
देश के करोड़ों मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है कि केंद्र सरकार ने ‘कॉल ड्रॉप’ की गंभीर समस्या पर सख्ती का मन बना लिया है. खबर है कि दूरसंचार मंत्रालय ने समाधान के लिए मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को 15 दिन का अल्टीमेटम दे दिया है. यह हिदायत भी दी गयी है कि स्थिति […]
देश के करोड़ों मोबाइल उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है कि केंद्र सरकार ने ‘कॉल ड्रॉप’ की गंभीर समस्या पर सख्ती का मन बना लिया है. खबर है कि दूरसंचार मंत्रालय ने समाधान के लिए मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों को 15 दिन का अल्टीमेटम दे दिया है. यह हिदायत भी दी गयी है कि स्थिति में सुधार न होने पर कंपनियों पर जुर्माना लगाया जा सकता है.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राइ) ने भी कहा है कि वह कॉल ड्रॉप और मुआवजा पर अपनी सिफारिशें अगले महीने के पहले पखवाड़े तक पेश कर देगा.
ट्राइ के एक हालिया सर्वे के मुताबिक दिल्ली और मुंबई में 17 फीसदी तक कॉल्स ड्रॉप हो रही हैं, जबकि उसके मानकों के तहत यह दो फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. पिछले कुछ महीनों से सरकार के लगातार निर्देशों के बावजूद ‘कॉल ड्रॉप’ की शिकायतें कम नहीं हो रही थीं. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में एक बैठक में ‘कॉल ड्रॉप’ पर गंभीर चिंता जताते हुए अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि ‘वॉयस कनेक्टिविटी’ की यह समस्या ‘डाटा कनेक्टिविटी’ तक न पहुंचे.
बीच में कॉल कट जाना न केवल करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए बड़ी सिरदर्दी का सबब बना हुआ है, बल्कि इससे दोबारा कॉल करने पर उनकी जेब पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ रहा है. ऐसा लगता है कि कंपनियां मोबाइल उपभोक्ताओं की तेजी से बढ़ी संख्या के अनुरूप खुद को तैयार नहीं कर पा रही हैं.
इससे कंपनियों की मंशा पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि मोबाइल कंपनियों को अब डेटा सर्विस से अधिक आय हो रही है, इसलिए वे वॉयस सर्विस के सुधार में निवेश नहीं करना चाहती हैं. उधर कंपनियों का आरोप है कि सरकार से उन्हें पर्याप्त स्पेक्ट्रम नहीं मिल रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि कंपनियां देय स्पेक्ट्रम नहीं खरीद रहीं हैं.
आंकड़े बताते हैं कि कंपनियों ने 2012 में ऑफर हुए स्पेक्ट्रम का 48 फीसदी, 2013 में 20 फीसदी, 2014 में 81 फीसदी और 2015 में अब तक 88 फीसदी की ही खरीद की है. पिछले दिनों दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक कार्यक्रम में बताया कंपनियों की मांग पर सरकार ने स्पेक्ट्रम के साझा उपयोग और ट्रेडिंग की इजाजत भी दे दी है. उम्मीद है कि सरकार की सख्ती का असर कंपनियों पर होगा. अन्यथा देश में गुणवत्तापूर्ण वॉयस और डाटा कनेक्टिविटी के बिना ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना जल्दी पूरा नहीं हो सकेगा.
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