श्टेफान नेस्टलर
खेल संपादक, डॉयचे वेले
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संस्था ‘फीफा’ ऊपरी नेतृत्व के स्तर तक भ्रष्ट है. यह बात अब हर किसी को समझ में आ गयी होगी. इस विश्व संस्था के 6 प्रमुख अधिकारियों को फीफा कांग्रेस से ठीक पहले गिरफ्तार कर लिया गया.
उन पर यह आरोप है कि उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों की जानकारी के अनुसार कई वर्षो से उत्तरी, मध्य और दक्षिणी अमेरिका के फुटबॉल टूर्नामेंटों के प्रसारण और मार्केटिंग अधिकारों को बेचा और उसके लिए 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की रिश्वत ली.
गिरफ्तार खेल अधिकारियों में फीफा का काम-काज चलानेवाली कार्यकारिणी के 8 उपाध्यक्षों में से 2 उपाध्यक्ष शामिल हैं. उनसे में से एक जेफरी वेब हैं, जो उत्तरी और मध्य अमेरिका तथा कैरिबिक के फुटबॉल संघ के प्रमुख हैं और फीफा प्रमुख सेप ब्लाटर के करीबी माने जाते हैं. गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड के सेप ब्लाटर आरोपियों की सूची में नहीं हैं.
यह घटना हमें चकित नहीं करती. फीफा में अध्यक्ष के रूप में ब्लाटर के पिछले 17 साल के कार्यकाल में जब कभी भी अधिकारियों की रिश्वतखोरी के मामले सामने आये, फीफा प्रमुख उसमें से ऐसे बचे जैसे उनके चारों ओर कोई अदृश्य सुरक्षा कवच हो.
सिर्फ एक बार उनके लिए भी शिकंजा कस गया था, जब यह पता चल गया था कि फीफा के पूर्व महासचिव के रूप में काम करते हुए उन्हें फीफा के मार्केटिंग पार्टनर आइएसएल द्वारा उच्च अधिकारियों को रिश्वत देने के बारे में पूरी जानकारी थी.
ब्लाटर ने फीफा संगठन के प्रमुख अधिकारियों को दी गयी रिश्वत को कमीशन बताया और 2010 में उन्होंने लाखों डॉलर का जुर्माना देकर मुकदमे से अपनी जान छुड़ायी. वैसे ब्लाटर हर संकट को हंस कर धुएं में उड़ाते रहे हैं, हालांकि संकटों की कमी नहीं थी.
अभी हाल ही में उन पर 2018 के विश्वकप की मेजबानी रूस को देने और 2022 की कतर को देने के बारे में आरोप लगे. अब स्विस अधिकारी औपचारिक रूप से रिश्वत दिये जाने के संदेह की जांच कर रहे हैं.
इस उथल-पुथल वाले खेल में अजीब सा लगता है कि सेप ब्लाटर को शुक्रवार को ज्यूरिख में हो रही फीफा कांग्रेस में पांचवीं बार संगठन का प्रमुख चुने जाने की संभावना है. 79 वर्षीय ब्लाटर आंख मूंद कर एशिया, अफ्रीका और अमेरिका के अपने किराये के समर्थकों पर भरोसा कर सकते हैं.
जाहिर है कि उनके वे समर्थक उनके पक्ष में वोट देंगे. इस मामले में ब्लाटर से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे यूरोपीय बिना दांत के शेर साबित हुए हैं. सही तरीके से चलायी जानेवाली कंपनी में ब्लाटर को कब का इस्तीफा देना पड़ा होता. यदि उनमें थोड़ी भी गैरत होती, तो वे खुद ही इस्तीफा दे चुके होते. लेकिन फीफा दूध का धुला नहीं है.
अब और क्या हो कि इस संगठन को आखिरकार भ्रष्टाचार और कुनबावाद की गंदगी से छुटकारा मिले. फीफा द्वारा नैतिकता आयोग बनाये जाने के बावजूद अंदर से सफाई नहीं हो रही है. शायद एक क्रांति की जरूरत है, ताकि सबको हटाया जा सके और फिर से एक नयी शुरुआत हो सके.
(डॉयचे वेले से साभार)