आखिरकार एक बार फिर सत्य की जीत हुई. आसाराम जेल के अंदर पहुंच गये. तमाम सबूत भी आसाराम के खिलाफ जा रहे हैं. लेकिन इन सब बातों के बीच हमें उस बच्ची के जज्बे के सलाम करना होगा, जिसकी वजह से पाखंडी बाबाओं का पर्दाफाश हुआ.
अब सबसे बड़ा सवाल यहां यह है कि ऋषि-मुनियों की धरती को पाखंडी बाबा क्यों बदनाम कर रहे हैं? दूसरों को उपदेश देनेवाले खुद सीमा में क्यों नहीं रहते? आज हर बाबा के पास अरबों-खरबों की संपत्ति है, जबकि पहले के महात्मा भिक्षाटन करके अपना निर्वाह करते थे, तो इन बाबा को धन की क्या आवश्यकता है? दुर्भाग्य है कि इसके लिए जनता भी दोषी है, जो इन पाखंडी बाबाओं को भगवान की दर्जा देती है. इनकी शह से ही बाबा नाम का वायरस हमारे जीवन में पलता-बढ़ता है और हम पर ही वार करता है.
मनोज कुमार, इमलीबाड़ी, देवघर