झारखंड में पेट्रोल और डीजल महंगा हो चुका है. रविवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में इन पर वैट की दर बढ़ाने का फैसला लिया गया था. पेट्रोल और डीजल पर अब 22 फीसद वैट लगेगा. पहले यह दर क्रमश: 20 और 18 फीसद थी. इसका असर यह होगा कि अधिसूचना जारी होने के साथ ही राज्य में पेट्रोल लगभग दो रुपये और डीजल ढाई रुपये से ज्यादा महंगा हो जायेगा.
पिछले कुछ महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में भारी गिरावट आयी है. यह 48 डॉलर के निचले स्तर तक पहुंच गया था और अभी 60 डॉलर के आसपास है. प्रधानमंत्री इस गिरावट को अपना ‘नसीब’ करार दे चुके हैं. कच्चे तेल में गिरावट के अनुपात में तो डीजल-पेट्रोल के दाम नहीं घटे, पर यकीनन इनकी कीमतें कम हुईं और आम आदमी ने राहत की सांस ली. लेकिन डीजल-पेट्रोल सस्ता होने के साथ न तो मालभाड़ा कम हुआ और न यात्री किराया. पिछले दिनों झारखंड सरकार ने इस दिशा में कुछ कोशिश की.
बस व ट्रक मालिकों और टेंपो चालकों के संगठनों के साथ भाड़ा कम करने को लेकर बातचीत हुई. किराया कम करने का आश्वासन भी मिला. लेकिन वैट बढ़ने से माला भाड़ा व यात्री किराया कम होने का मामला अब खटाई में पड़ता लग रहा है. वैट बढ़ाने का रघुवर दास सरकार का फैसला बताता है कि वह भी मोदी सरकार के नक्शे कदम पर चल रही है. अंतरराष्ट्रीय कारणों से डीजल-पेट्रोल की कीमतों में जो गिरावट आ रही है उससे जनता को राहत देने की जगह सरकारी तिजोरी भरी जा रही है. डीजल और पेट्रोल दोनों को केंद्र सरकार नियंत्रणमुक्त कर चुकी है.
यानी कि तेल कंपनियां अब कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के साथ डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ा-घटा सकती हैं. तेल कंपनियों ने दाम कम किये भी, लेकिन केंद्र सरकार ने उस पर उत्पाद कर की दर बढ़ा दी जिससे जनता को उतना फायदा नहीं मिल पाया. मोदी सरकार ने उत्पाद कर बढ़ाया, तो रघुवर सरकार ने वैट बढ़ा लिया है. आंकड़ों में महंगाई भले घट गयी हो, लेकिन खाने-पीने की चीजों की कीमतें अब भी बहुत ऊंची हैं. खुले बाजार में बढ़िया आटा 28-31 रुपये किलो बिक रहा है. डीजल-पेट्रोल की बढ़ी कीमतों से महंगाई और बढ़ सकती है.