* खास पत्र
।। रोशन कु सिंह ।।
(डिंडाकोली, देवघर)
नक्सलियों का एजेंडा कब बदल जाता है, किसी को पता नहीं चल पाता है. क्योंकि कभी तो वे गरीबों का मसीहा होने का दावा करते हैं, तो दूसरी तरफ सरकारी संपत्ति जैसे स्कूल, पंचायत भवन को बम से उड़ा देते हैं और पुलिस जवानों के हथियार लूट लेते हैं.
आखिर नक्सली चाहते क्या हैं, यह उन्हें स्पष्ट करना चाहिए. अगर सही में जनता की भलाई करना और जनहित के लिए काम करना उनका मकसद है, तो उन्हें सामने आकर अपना पक्ष रखना होगा. वे मुख्यधारा में लौट कर भी तो जनहित के काम कर सकते हैं. नक्सली हर समय जनहित की बात करके लोकतंत्र पर प्रहार करते दिखते हैं.
हाल में जितनी भी वारदातें हुई हैं, उन्हें देखने-समझने से उनका उद्देश्य मुख्य रूप से पुलिस से हथियार लूटना और नहीं देने पर उनकी जान ले लेना हो गया है. काठीकुंड के अमतल्ला गांव में जिस निर्दयता के साथ पाकुड़ एसपी अमरजीत बलिहार समेत पांच जवानों की हत्या कर दी गयी, इसके पीछे जनहित का कौन सा मुद्दा था? इतनी बड़ी घटना के लिए सरकार एवं प्रशासन भी कम दोषी नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने ही नक्सलियों को फलने-फूलने का मौका दिया, जिससे वे बिच्छू से सांप बन कर हर वक्त मौका देख कर डसने को तैयार हैं.
सरकार को भी अपनी नीतियों और योजनाओं में पूरी पारदर्शिता लानी होगी, ताकि उनका लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचे, और कोई तबका वंचित न रह जाये. साथ ही उसे सूचना तंत्र व थानों को मजबूत करना होगा, जिससेवे नक्सलियों की गतिविधियों के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठी कर सकें और उसके आधार पर उत्तरोत्तर कार्रवाई सुनिश्चित हो सके. वरना नक्सली सरकार की छाती पर और मूंग दलेंगे.