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मुद्रा संकट का बढ़ता खतरा

।। अश्विनी महाजन ।।(एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली विवि)पिछले 50 दिनों में हमारा रुपया डॉलर के मुकाबले में 6 रुपये गिर कर 60 रुपये प्रति डॉलर के आसपास पहुंच गया है. उधर प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार रघु राजन कहते हैं कि डॉलर के मुकाबले दूसरी करेंसियां भी कमजोर हो रही हैं, इसलिए केवल भारत के लिए यह […]

।। अश्विनी महाजन ।।
(एसोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली विवि)
पिछले 50 दिनों में हमारा रुपया डॉलर के मुकाबले में 6 रुपये गिर कर 60 रुपये प्रति डॉलर के आसपास पहुंच गया है. उधर प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार रघु राजन कहते हैं कि डॉलर के मुकाबले दूसरी करेंसियां भी कमजोर हो रही हैं, इसलिए केवल भारत के लिए यह चिंता का विषय नहीं है. चीन और रूस को छोड़ कर बाकी तीन ब्रिक्स देश भारी भुगतान संकट से भी गुजर रहे हैं, जिसके चलते वहां की करेंसियां भारी दबाव में जा रही हैं. पिछले दो माह से भी कम समय में रुपया 12 प्रतिशत से ज्यादा गिर गया है. ब्राजील की ‘रियल’ और दक्षिण अफ्रीका की ‘रैंड’ करेंसियां भी क्रमश: 7 और 12 प्रतिशत गिर चुकी हैं. ब्रिक्स देशों में से चीन और रूस अभी भी उस संकट में नही हैं

भारतीय रुपये की समस्या भारत की ही है. बढ़ता भुगतान शेष और उसके कारण बढ़ता विदेशी मुद्रा संकट रुपये में कमजोरी का मुख्य कारण है. यह तेजी से बढ़ते आयातों और उसके मुकाबले पिछड़ते निर्यातों के कारण है. वर्ष 2011-12 में 50 अरब डॉलर सोने का और 10 अरब डॉलर चांदी का आयात हुआ. इसी दौरान चीन के साथ हमारा व्यापार घाटा 40 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

शेष दुनिया के साथ भी व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है. उधर रुपये की कमजोरी के सामने सरकार असहाय महसूस कर रही है. भारतीय रिजर्व बैंक भी रुपये को थामने का खास प्रयास करता दिख नहीं दे रहा. सरकार को डर है कि रुपये को थामने का प्रयास हमारे विदेशी मुद्रा भंडार को खतरे में न डाल दे.

2013-14 का केंद्रीय बजट प्रस्तुत करते हुए वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने विदेशी भुगतान घाटे के बढ़ने पर चिंता व्यक्त की. इसी प्रकार की चिंता प्रधानमंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक भी व्यक्त कर चुके हैं. यह चिंता बिना वजह नहीं है. बीते कुछ सालों में हमारा व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. 2004-05 से अभी तक यह घाटा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा. 1990 के दशक में भुगतान घाटा औसत 4.4 अरब डॉलर वार्षिक रहा, जबकि 2004-05 के बाद के 8 वर्षो में यह औसत 6.5 गुणा बढ़ कर 28.5 अरब डॉलर हो गया.

2003-04 के बाद व्यापार घाटा इस कदर बढ़ा कि सॉफ्टवेयर निर्यात और अनिवासी भारतीयों द्वारा अंतरण बढ़ने के बावजूद देश निरंतर भुगतान शेष के घाटे में ही रहा. वर्ष 2012-13 में तो यह 100 अरब डॉलर से भी अधिक पहुंच गया, जो आज नीति-निर्माताओं, अर्थशास्त्रियों और देश के लिए भारी चिंता का कारण बना हुआ है. आज हमारा विदेशी मुद्रा भंडार, जो पहले से थोड़ा कम भी हुआ है, आयातों की मात्र बढ़ने के कारण अब मात्र छ: महीने के आयातों के लिए ही पर्याप्त है. पिछले तीन वर्षो में देश पर कर्ज भी भारी मात्र में बढ़ा है.

व्यापार शेष में बढ़ते घाटे का असर चालू खाते पर भुगतान शेष पर भी पड़ता है. जब व्यापार घाटा बढ़ा तो भी शुरुआती दौर में भुगतान घाटा काबू में रहा. इसका कारण यह था कि हमें सॉफ्टवेयर निर्यातों से खासी आमदनी होने लगी थी. यही नहीं, अनिवासी भारतीयों द्वारा भी बड़ी राशियां देश को प्राप्त हो रही थी. एक बारगी तो उसका असर ऐसा हुआ कि 2001-02 से 2003-04 के बीच हमारा भुगतान शेष तीन वर्षों तक लगातार फायदे में रहा. लेकिन 2004-05 और उसके बाद आर्थिक कुप्रबंधन के चलते व्यापार घाटा ज्यादा बढ़ने लगा. सॉफ्टवेयर और अनिवासी भारतीयों से विदेशी मुद्रा की प्राप्तियां बदस्तूर बढ़ती रही, पर बढ़ते व्यापार घाटे के लिए वे भी नाकाफी सिद्घ होने लगी.

आज सरकार रुपये को थामने के लिए एक ही तरीका सुझा रही है और वो है विदेशी निवेश को बढ़ाना. सरकार पिछले 20 वर्षों से लाल गलीचे बिछा कर विदेशी निवेश का स्वागत कर रही है. थोड़े ही समय में विदेशी निवेश इतने बढ़ जायेंगे कि विदेशी मुद्रा के संकट का समाधान हो जायेगा, इसकी उम्मीद करना समझदारी नहीं है. सरकार के पास एक ही विकल्प है कि वह विदेशी बाजार से और ऋण उठाये. यह संकेत वित्त मंत्री अपने बजट भाषण में पहले ही दे चुके हैं.

बढ़ते विदेशी मुद्रा संकट और विदेशी ऋण की मजबूरियां देश की रेटिंग और गिरा सकती हैं, जिससे देश पर ब्याज का बोझ और बढ़ सकता है. 2011-12 में हमारे विदेशी कर्ज पर ऋण और मूल की अदायगी का बोझ 31.5 अरब डॉलर रहा था. विदेशी निवेशक भी विदेशी मुद्रा बाहर ले जाने में पीछे नहीं हैं. 2011-12 में विदेशी निवेशकों द्वारा ब्याज, डिवीडेंट, रॉयल्टी के रूप में 26 अरब डॉलर विदेशों को अंतरित कर दिये गये. ऐसे में यदि सरकार ने जल्द कुछ ठोस कदम नहीं उठाये तो देश भयंकर विदेशी मुद्रा संकट में फंस सकता है.

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