20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कर-संग्रहण बढ़े

आकलन वर्ष 2019-20 के लिए आयकर का ब्यौरा देनेवाले लोगों की संख्या 5.65 करोड़ से ऊपर हो गयी है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चार प्रतिशत अधिक है. यह बढ़ोतरी एक अच्छा रुझान है, क्योंकि 2013-14 में यह आंकड़ा 3.31 करोड़ था. परंतु, आज भी आबादी के अनुपात में यह संख्या संतोषजनक […]

आकलन वर्ष 2019-20 के लिए आयकर का ब्यौरा देनेवाले लोगों की संख्या 5.65 करोड़ से ऊपर हो गयी है, जो कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में चार प्रतिशत अधिक है.

यह बढ़ोतरी एक अच्छा रुझान है, क्योंकि 2013-14 में यह आंकड़ा 3.31 करोड़ था. परंतु, आज भी आबादी के अनुपात में यह संख्या संतोषजनक नहीं है. प्रत्यक्ष करदाता की कुल संख्या सिर्फ 7.41 करोड़ है. साल 2017-18 में 6.85 करोड़ लोगों ने अपनी आमदनी का हिसाब जमा किया था. इस लिहाज से इस वर्ष की संख्या कम है.

हमारे देश में कर संग्रहण भी बहुत कम है. पिछले साल आयकर का ब्यौरा जमा करनेवाले 2.02 करोड़ लोगों ने कोई कर जमा नहीं किया था और कररहित ब्यौरा देनेवाली कंपनियों की तादाद 3.9 लाख रही थी. पिछले साल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश के आधे से अधिक डॉक्टर और दो-तिहाई चार्टर्ड अकाउंटेंट आयकर नहीं देते हैं. यह स्थिति तब है, जब भारत में व्यक्तिगत आयकर की दरें चीन, अमेरिका और दक्षिण अफ्रीका से कम हैं.

जनसंख्या के अनुपात में अनेक विकसित और विकासशील देशों में करदाताओं की संख्या भी भारत से अधिक है. अर्थव्यवस्था में गिरावट और कर संग्रहण घटने से सरकार के पास सार्वजनिक खर्च करने की गुंजाइश कम हो गयी है, जिसका नकारात्मक असर विकास व कल्याण योजनाओं पर हो सकता है.

इस वर्ष के बजट में लगाये गये कुछ अधिभार और कर बढ़ोतरी को भी वापस लिया गया है, ताकि आर्थिकी को मजबूत करने के लिए निवेश बढ़ाया जा सके. सरकार एक नये प्रत्यक्ष कर विधेयक की तैयारी कर रही है, जिसमें करदाताओं की संख्या बढ़ाने के उपाय होंगे और मौजूदा नियमों को सरल बनाने की कोशिश होगी. कर चोरी और आय छुपाने तथा काला धन पैदा करने की प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने के लिए बीते कुछ वर्षों में अनेक कदम उठाये गये हैं.

आर्थिक गतिविधियों में पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय भी हुए हैं. इन वजहों से आय का ब्यौरा जमा करनेवालों की संख्या बढ़ी है. नये नियमन तथा संभावित कर सुधार से संग्रहण में भी बढ़त की अपेक्षा है. लोगों को आगे आकर आय का सही हिसाब देना चाहिए तथा समुचित कर चुकाना चाहिए. प्रत्यक्ष करदाताओं, कंपनियों और उद्यमों को भी ऐसा करना चाहिए. आय की विषमता भी एक चिंताजनक समस्या है.

आमदनी, कारोबार और रोजगार बढ़ाने की दिशा में ठोस दीर्घकालिक प्रयासों की जरूरत है. एक अध्ययन के अनुसार, 92 प्रतिशत महिला तथा 82 प्रतिशत पुरुष कामगार 10 हजार रुपये मासिक से कम कमाते हैं. नियमित रोजगारवाले 57 प्रतिशत लोगों की आमदनी इसी श्रेणी में है.

पूरी कार्यशक्ति में हर महीने 50 हजार रुपये कमानेवाले महज 1.16 प्रतिशत हैं. इस वजह से शीर्ष के एक प्रतिशत आयकरदाताओं का संग्रहण में योगदान लगभग एक-तिहाई तथा पांच प्रतिशत का योगदान लगभग दो-तिहाई है. इन सभी पहलुओं का संज्ञान लेते हुए कर संग्रहण को बेहतर करने के प्रयास होने चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें