सत्य प्रकाश चौधरी
प्रभात खबर, रांची
पप्पू पनवाड़ी की दुकान पर मजमा पूरे रंग में है. मजमे में शामिल लोग उन 90 फीसद भारतीयों में से हैं जिन्हें काटजू साहब मूर्ख होने की सनद काफी पहले दे चुके हैं. यकीनन, इन लोगों को यह इल्म नहीं होगा कि काटजू साहब उनके बारे में ऐसा ख्याल रखते हैं, नहीं तो वे आज उनकी वाह-वाह नहीं कर रहे होते.
मुन्ना बजरंगी पूरी रौ में हैं, ‘‘देखते जाइए, अभी बहुत कुछ सामने आयेगा. मोदी जी सोनिया-मनमोहन को जेल की चक्की पिसवाये बिना मानेंगे थोड़े.’’ पप्पू इस पर थोड़ा चिढ़-सा गये, ‘‘आप भी गजब हैं. बात चाहे जिस चीज पर हो रही हो, घूम-फिर कर पहुंच ही जाते हैं मोदी जी पर. जज नियुक्ति में भ्रष्टाचार की सच्चई सामने लाये हैं काटजू साहब और आप पीठ ठोंक रहे हैं मोदी जी की. अच्छा है कि अब आप स्कूल में नहीं हैं, नहीं तो निबंध लिखने को आता गाय पर और आप लिख डालते मोदी जी पर.’’
इस पर जोर का ठहाका लगा, लेकिन मुन्ना मैदान छोड़ने को तैयार न हुए. उन्होंने पप्पू पर जवाबी हमला, ‘‘केजरीवाल की बड़ी दुम बने फिरते थे न, अब बजाओ बैठ के झाल.. अब भी समय है, सुधर जाओ. मोदी जी का साथ दो, फिर देखो कैसे आते हैं अच्छे दिन!’’ रुसवा इस बहस में पड़ने से बचने के लिए बहुत देर तक मुंह में पान की पीक भरे रहे. मगर कब तक? आखिरकार उन्होंने पीक फेंकी और इसी के साथ उनका सब्र भी छितरा गया. उन्होंने सवाल उछाला, ‘‘दो महीने होने वाले हैं, लेकिन अच्छे दिन कुतुबमीनार पर खड़े होने के बाद भी नजर नहीं आ रहे.’’ मुन्ना बजरंगी ने तिलमिला कर जवाब दिया, ‘‘आप तो ऐसे कह रहे हैं मानो पिछली सरकार 10 सालों से रोज आपको बिठा कर रसगुल्ला खिला रही थी. थोड़ा सब्र रखिए. मोदी जी देश-दुनिया में छिपे भारत के काले धन का पता लगवा रहे हैं. एक बार काला धन सरकार के पास आने दीजिए, फिर तेल देखियेगा और तेल की धार देखियेगा.
दिन भर बैठ कर हिंदी, उर्दू, अंगरेजी सब अखबार चाटते रहते हैं, तब भी खबर नहीं कि मोदी जी ने कुरसी संभालते ही काले धन का पता लगाने के लिए एसआइटी बना दी है.’’ रुसवा साहब बोले, ‘‘बहुत एसआइटी देख चुके हैं. बेहतर होगा कि इस काम में चोरों को लगाया जाये. देखा नहीं, पटना में कैसा कमाल दिखा रहे हैं. दो नेताजी का काला धन सामने ले आये हैं. खुफिया एजेंसियों की तरह ये सिर्फ सूचना नहीं लाते, बल्कि पूरा माल निकाल कर लाते हैं.’’ मुन्ना बोले, ‘‘काला धन तो बिहार के पुराने मुख्यमंत्री के साले के यहां निकला है. बाकी जिस दूसरे नेता की बात आप कर रहे हैं, वह तो उनके ‘कजन’ का पैसा है, काला धन नहीं.’’ रुसवा साहब ने धीमे से वार किया, ‘‘हां भाई, मोदी जी के भक्त के पास काला धन कैसे हो सकता है?’’ खैर, यह मजमा चलता रहेगा, पर काटजू साहब ने जो वक्त चुना है, उससे यह तय है कि वह 90 नहीं, बल्कि 10 फीसदी भारतीयों में शुमार हैं.