अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट, 2018 में जिस तरह से भारत में अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ हिंसा होने तथा उसके पीछे षड्यंत्र की बात कही गयी है, वह निश्चित तौर पर पूर्वाग्रह से प्रेरित और झूठ का पुलिंदा है. सच तो यह है कि ऐसे ज्यादातर मामलों में स्थानीय विवादों और अपराधी तत्वों का हाथ होता है.
पिछले कुछ समय में हुई हत्या और बलात्कार जैसी घटनाओं का ब्योरा देखें, तो स्पष्ट हो जाता है कि ऐसे मामलों में पीड़ित पक्ष हों या फिर इन्हें अंजाम देने वाले, किसी एक वर्ग से संबंधित नहीं रहे हैं. दुर्भाग्यवश इस प्रमुख तथ्य को इस रिपोर्ट में नजरअंदाज कर दिया गया है. निस्संदेह, भारत की लोकतांत्रिक और न्यायिक संस्थाओं की जड़ें बहुत गहरी हैं और वे ऐसे विवादों का फैसला करने एवं दोषियों को सजा देने में पूर्णतः सक्षम हैं.
चंदन कुमार, देवघर