19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

नयी मंजिल बड़ी उम्मीदें

सम्मेलन कक्षों से लेकर खेल के मैदानों तक महिलाओं की मौजूदगी अभूतपूर्व तरीके से बढ़ रही है. कर्मठता और आत्मविश्वास से महिलाएं कामयाबी की नयी-नयी इबारतें लिख रही हैं. परंपरागत तौर पर जिन क्षेत्रों में पुरुषों का वर्चस्व माना जाता था, उन क्षेत्रों में भी महिलाओं ने अपनी दखल से लोगों को अचंभित किया है. […]

सम्मेलन कक्षों से लेकर खेल के मैदानों तक महिलाओं की मौजूदगी अभूतपूर्व तरीके से बढ़ रही है. कर्मठता और आत्मविश्वास से महिलाएं कामयाबी की नयी-नयी इबारतें लिख रही हैं. परंपरागत तौर पर जिन क्षेत्रों में पुरुषों का वर्चस्व माना जाता था, उन क्षेत्रों में भी महिलाओं ने अपनी दखल से लोगों को अचंभित किया है. इसी बीच भारतीय वायुसेना से एक सुखद खबर आयी है, पहली बार चालक दल में शामिल सभी महिला सदस्यों ने एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर को उड़ाया. दल की प्रमुख फ्लाइट लेफ्टिनेंट पारुल भारद्वाज एमआई 17वी5 उड़ानेवाली पहली महिला पायलट बनीं.

को-पायलट के रूप में झारखंड की अमन निधि और तीसरी क्रू फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर के रूप में शामिल रहीं. इससे पहले मिग-21 ‘बाइसन’ फाइटर जेट की उड़ान भरने के साथ लेफ्टिनेंट भावना कंठ देश के पहली महिला फाइटर पायलट बनी थीं. वैसे तो भारतीय सेनाओं से महिलाओं के जुड़ने के लिए मेडिकल, कानून, शिक्षण, सिग्नल और इंजीनियरिंग विधाओं समेत तमाम तरह के विकल्प हैं.
लेकिन, चुनौती पूर्ण जिम्मेदारियों के लिए महिलाओं का आगे आना रोमांचक है, साथ ही अच्छे भविष्य के लिए शुभ संकेत भी. बीते दिनों सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए महिलाओं के लिए सैन्य पुलिस के रास्ते भी खोल दिये हैं. सेना के तीनों अंगों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से रक्षा मंत्री ने बीते जनवरी माह में इस योजना को हरी झंडी दिखा दी थी.
वर्तमान में थलसेना में महिलाओं की हिस्सेदारी 3.80 प्रतिशत, वायुसेना में 13.09 प्रतिशत और नौसेना में छह प्रतिशत है. सैन्य पुलिस में महिलाओं की नियुक्ति महिला सशक्तीकरण की दिशा में निश्चित ही एक बड़ी पहल है. आधी आबादी की हिस्सेदारी सेना ही नहीं, अपितु सभी क्षेत्रों में होनी चाहिए. महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार के रूप में सामाजिक बुराई आज भी हमारे बीच मौजूद है, जिसके लिए आम जनमानस को चेतना होगा.
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे प्रयासों को व्यापक रूप देने की जरूरत है. महिलाओं की कार्यस्थलों पर भागीदारी की स्थिति दर्शाती अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर कामकाजी आबादी में 26.5 प्रतिशत का लैंगिक अंतराल मौजूद है. अगर 2025 तक वैश्विक स्तर पर लैंगिक अंतराल में डेढ़ प्रतिशत की भी कमी आती है, तो विश्व जीडीपी में 5.3 ट्रिलियन डॉलर की बढ़त हो सकती है.
जिस तरह से महिलाएं साहसिक और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में कामयाबी हासिल कर रही हैं, उससे पारंपरिक रूप से समाज में व्याप्त धारणाएं टूट रही हैं. फाइटर पायलट बनने से लेकर सशस्त्र सेनाओं तक महिलाओं की सफलता, बेटियों को कमतर आंकनेवालों के लिए बड़ा संदेश है. अगर बेटियों को अवसर मिलेंगे, तो निश्चित ही वे हर कदम पर साबित करेंगी- वे छोरों से कम नहीं हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें