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पढ़ाई के प्रति बच्चों में घटती जा रही है रुचि
सरकारी शिक्षण संस्था चाहे वह विद्यालय हो या विश्वविद्यालय पढ़ाई न होने का आरोप लगते रहे हैं. लोगों का यह आरोप कुछ हद तक सही भी है. लेकिन, इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता कि बच्चों में रुचि ही नहीं होगी तो फिर पढ़ाना कैसे संभव होगा? अक्सर यह देखा जाता है […]
सरकारी शिक्षण संस्था चाहे वह विद्यालय हो या विश्वविद्यालय पढ़ाई न होने का आरोप लगते रहे हैं. लोगों का यह आरोप कुछ हद तक सही भी है.
लेकिन, इस बात से इन्कार भी नहीं किया जा सकता कि बच्चों में रुचि ही नहीं होगी तो फिर पढ़ाना कैसे संभव होगा? अक्सर यह देखा जाता है कि शिक्षक तो विद्यालय या विश्वविद्यालय में पहुंच जाते हैं, लेकिन बच्चों की उपस्थिति नदारद रहती है.
कुछ पहुंचते हैं भी तो असमय व बिना रुचि के. ऐसे में शिक्षक कई दिनों तक यह स्थिति देख शिथिल पड़ जाते हैं. फिर पढ़ाई धीरे-धीरे बंद हो जाती है और बच जाती है तो सिर्फ और सिर्फ औपचारिकताएं. ऐसे में बिहार की शिक्षा व्यवस्था जो कुछ भी बची है, वह भी गर्त में चली जायेगी. राज्य में शिक्षा की स्थिति तब बेहतर होगी, जब सरकार के साथ अभिभावक, बच्चे व शिक्षक सभी मिलकर गंभीर प्रयास करेंगे.
सोनू कुमार सोनी, लौरिया (प. चंपारण)
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