।। राजीव चौबे।।
(प्रभात खबर, रांची)
गोपीनाथ मुंडे की मौत ने सड़क सुरक्षा पर बात करने का हमें एक अवसर दिया है. सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट में पढ़ा था, ‘कौन कहता है भारत में तरक्की नहीं हुई, पिछले बीस सालों में सड़क हाइवे बन गयी.’ इशारा 90 के दशक की शुरुआत में आयी पूजा भट्ट की फिल्म ‘सड़क’ और पिछले दिनों आयी, उनकी बहन आलिया भट्ट की फिल्म ‘हाइवे’ की ओर था.
बहरहाल, अगर उन दिनों से आज की तुलना की की जाये तो उदारीकरण के रथ पर सवार होकर तरक्की तो आयी है. खपरैल घरों की जगह अपार्टमेंट उग आये, किराना दुकानों की जगह शॉपिंग मॉल ने ले ली, स्कूटर पर चलनेवाले स्कॉर्पियो पर चलने लगे और जैसा कि पहले बताया गया है, सड़कें हाइवे बन गयीं. लेकिन इसके साथ ही सड़क हादसे भी बढ़ गये.
हर दिन लॉन्च हो रहे गाड़ियों के नये-नये मॉडलों के आगे हाइवे भी छोटे पड़ रहे हैं. 90 प्रतिशत फायनांस और इएमआइ ने लोगों को किसी लायक बनने से पहले ही गाड़ीवाला बना दिया है. अब लोगों को गाड़ी भी सीधी-सादी नहीं, बल्कि स्टाइलिश चाहिए. साइकिल तो हिकारत से देखने की चीज बन गयी है. साइकिलसवार सड़क पर अपने को कुछ ऐसे बचाता चलता है जैसे जंगल में शाकाहारी जानवर खुद को परभक्षियों से बचाते हैं. हालांकि बाजार में ऐसी-ऐसी साइकिलें आ गयी हैं जो मोटरसाइकिल से भी महंगी हैं, पर वो अभी ‘शान की सवारी’ नहीं बन पायी हैं.
चलाने में आसानी, कम देखरेख की जरूरत और रफ्तार के अलावा, एक और चीज है जिसकी वजह से गाड़ियों में नये-नये बदलाव हो रहे हैं. जी हां, आप सही समङो, वह है माइलेज. स्कूटर, मोटरसाइकिल और कारों में ज्यादातर बदलाव ईंधन की बढ़ती कीमतों से उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए किये गये हैं और यह प्रक्रिया अब भी जारी है और निस्संदेह आगे भी जारी रहेगी. पहले गाड़ियों की बॉडी ठोस धातु की होती थी. अब उन्हें किफायती बनाने के लिए उनकी बॉडी हल्की बनायी जा रही है और धातु की जगह फाइबर का इस्तेमाल बढ़ रहा है.
इसलिए पहले अखबारों में ऐसे शीर्षक पढ़ने को नहीं मिलते थे कि विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक से टकरा कर कार के परखचे उड़े. हां, सुरक्षा के मामले में कुछ अच्छी चीजें भी हुई हैं, जैसे- अब कारों में सीट बेल्ट आ गयी हैं (यह अलग बात है कि हम इससे परहेज करते हैं) और अगली सीट पर बैठनेवालों की सुरक्षा के लिए एयर बैग दिये जाने लगे हैं, जो टक्कर की स्थिति में सिर और धड़ की हिफाजत करते हैं. लेकिन हाइवे पर खुदा न खास्ता अगर आज की गाड़ियां तेज रफ्तार ट्रक से टकरा जाती हैं तो उनके परखचे उड़ना तय है. ऐसे में न सीट बेल्ट और न ही एयरबैग आपकी मदद कर सकते हैं. वहीं, खाली सड़क पर फर्राटा भरते या भीड़ भरी सड़क पर कटिंग मारते दोपहिया सवारों के लिए दुर्घटना की स्थिति में हेलमेट ही एकमात्र सहारा है.