आज भारत आर्थिक दृष्टि से विश्व के शक्तिशाली देशों की श्रेणी में आ पहुंचा है.लेकिन, सामाजिक दृष्टि से अब भी बहुत पीछे है. इसका एक कारण यह हो सकता है कि हमारी सोच अन्य सामाजिक व्यवस्था से बहुत पीछे है. यहां गरीब और गरीब होता जा रहा है. इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई मजबूत कदम नहीं उठाया जा रहा है. मनमोहन युग को कोसने वाली जनता को मोदी युग में भी परेशानियों से नाता बना हुआ है.
वहीं, शिक्षा की स्थिति ऐसी है कि संपन्न व्यक्तियों के बच्चे ही शिक्षित हो सकते हैं. गरीबों के बच्चों के लिए पढ़ाई बहुत महंगी हो गयी है. शिक्षा के व्यवसायीकरण का गरीबों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. हालांकि सरकार ने आरटीआई लागू की, परंतु प्रशासनिक महकमा इसके प्रति उदासीन है.
अमित कुमार सिन्हा, कंकड़बाग (पटना)