शफक महजबीन
टिप्पणीकार
महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू ने शिक्षा देनेवालों के बारे में कहा है कि ‘जन्म देनेवालों से अधिक सम्मान अच्छी शिक्षा देनेवालों को दिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने तो बस जन्म दिया है, मगर शिक्षा देनेवालों ने तो जीना सिखाया है.’
लेकिन, अक्सर ऐसी खबरें देखने-सुनने को मिल जाती हैं, जिसमें शिक्षा देनेवाले शिक्षक ही बच्चों के साथ गलत व्यवहार करते पाये जाते हैं. कुछ ही दिनों पहले लखनऊ के यासीनगंज स्थित एक मदरसे के संचालक मोहम्मद तैयब जिया का अमानवीय चेहरा सामने आया. मदरसे की लड़कियों का आरोप है कि जिया ने उन्हें बंधक बनाकर रखा और उनके साथ अश्लील हरकतें की. इस घटना ने पूरे समाज को शर्मिंदा किया है.
हमारा समाज आधुनिक तो हो रहा है, लेकिन अब भी कहीं-कहीं लड़कियों की शिक्षा के साथ उनकी सुरक्षा की चुनाैती हमारे सामने है. शिक्षा देने के नाम पर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा लड़कियों का शोषण नाकाबिल-ए-बरदाश्त है और हमारे स्वस्थ समाज के लिए नुकसान पहुंचानेवाला है.
स्कूल या मदरसा एक ऐसी जगह है, जहां बच्चों को भेजने के बाद मां-बाप बेफिक्र हो जाते हैं, क्योंकि यह तो ज्ञान बांटने और लेने की जगह है. वहां ऐसी घटनाओं के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता.
मदरसे के संचालक ने न जाने कितने मां-बाप के भरोसे को तोड़ा है. एक तो वैसे ही गरीब घरों के लोग अपने बच्चों को पढ़ने नहीं भेज पाते, दूसरे ऐसी घटनाएं उनके शिक्षा हासिल करने के मनोबल को तोड़ देती हैं, जिसके चलते अक्सर गरीब लड़कियों को शिक्षा से महरूम होना पड़ता है. ऐसे में लड़कियों की शिक्षा के साथ उनकी सुरक्षा भी जरूरी हो जाती है.
जैसे-जैसे देश में लोग महिलाओं के अधिकारों को लेकर जागरूक होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे उनके खिलाफ आपराधिक मामले भी बढ़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते ऐसे अपराधों को देखते हुए प्रदेश के डीजीपी के निर्देश पर राज्य पुलिस द्वारा बीते दिसंबर माह के पहले सप्ताह में नारी सुरक्षा एवं जागरूकता सप्ताह मनाया गया. इसमें पुलिस द्वारा कस्बे के स्कूलों में छात्राओं को संबोधित कर उन्हें आत्मरक्षा के टिप्स दिये गये और आत्मबल मजबूत करने को प्रेरित किया गया. समझाया गया कि उन्हें समूह में स्कूल जाना चाहिए.
देश भर में लड़कियों को ऐसी शिक्षा की जरूरत है, जो इन्हें जागरूक कर सके और शारीरिक व मानसिक तौर पर मजबूत बना सके. अक्सर लड़कियां अपनी परेशानियों को सबके सामने लाने से डरती हैं, क्योंकि ऐसी घटनाओं के पता चलने पर हमारा समाज उल्टा उन्हीं पर शक करता है.
इसके लिए मां-बाप को चाहिए कि वे घर का माहौल ऐसा बनायें कि लड़कियां बेहिचक अपनी परेशानियां कह सकें. मां को चाहिए कि वह अपनी बच्चियों को जागरूक करे, बाहर के समाज से उन्हें रूबरू करवाये, उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में बताये, ताकि बच्चियां ऐसी मुश्किलों का सामना कर सकें.