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त्योहारों के मूल्य न बचाएं

सभी धर्मों में अलग-अलग त्योहार मनाये जाते हैं. सभी त्योहार भाईचारे और सद्भावना का संदेश देते हैं, लेकिन क्रिसमस और नववर्ष न मनाने के लिए सोशल मीडिया में संदेश प्रचारित करना गलत और आपत्तिजनक है. सोशल मीडिया में क्रिसमस और नववर्ष को लेेकर गलत टिप्पणी की जा रही है. त्योहारों का विरोध सियासी फायदे के […]

सभी धर्मों में अलग-अलग त्योहार मनाये जाते हैं. सभी त्योहार भाईचारे और सद्भावना का संदेश देते हैं, लेकिन क्रिसमस और नववर्ष न मनाने के लिए सोशल मीडिया में संदेश प्रचारित करना गलत और आपत्तिजनक है. सोशल मीडिया में क्रिसमस और नववर्ष को लेेकर गलत टिप्पणी की जा रही है.
त्योहारों का विरोध सियासी फायदे के लिए किया जाता है. बकरीद, ईद, दीपावली, होली जैसे त्योहारों पर सांप्रदायिकता फैलाने से कुछ लोगों की दुकानें चल पड़ती हैं. वास्तव में धर्म का नजरिया और दायरा विशाल है. संकीर्ण मानसिकता ही त्योहारों को मजहब तक सीमित करती है. त्योहारों का अर्थ विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच खुशी बांटना होना चाहिए, नफरत फैलाना नहीं. त्योहारों को सांप्रदायिक चश्मे से देखना कतई सही नहीं है.
महेश कुमार, ई-मेल से.

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