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मातृभाषा के प्रति सम्मान

झारखंड की राजधानी रांची के एक निजी स्कूल में एक विद्यार्थी को मात्र हिंदी में बोलने पर उसे तख्ती पकड़ कर पूरे स्कूल में घुमाये जाने की घटना क्या तर्कसंगत है? दुनिया के सभी विकसित देशों को अपनी भाषा या राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है और वे उनका सम्मान भी करते हैं. वे अपनी भाषाओं […]

झारखंड की राजधानी रांची के एक निजी स्कूल में एक विद्यार्थी को मात्र हिंदी में बोलने पर उसे तख्ती पकड़ कर पूरे स्कूल में घुमाये जाने की घटना क्या तर्कसंगत है? दुनिया के सभी विकसित देशों को अपनी भाषा या राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है और वे उनका सम्मान भी करते हैं.
वे अपनी भाषाओं का ही प्रयोग करते हैं. परंतु हमारा देश जहां मात्र कुछ वर्षों के लिए अंग्रेजी भाषा को अपनाया गया था. आज यह एक भाषा ही नहीं बल्कि एक स्टेटस सिंबल बन चुका है. आज हिंदी बोलने वालों को काफी हेय दृष्टि से देखा जाता है. अगर हमें उच्च शिक्षा के लिए अंग्रेजी पढ़ने की आवश्यकता है, तो हमें अपनी मातृभाषा को भी नहीं भूलना चाहिए.
जब हमारे माननीय प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर अपनी राष्ट्रभाषा को सम्मान दे सकते हैं, तो हमें अपनी मातृभाषा को बोलने में शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए. अंग्रेज तो 70 वर्ष पहले छोड़ कर चले गये, पर अंग्रेजीयत ने आज भी हमें जकड़ कर रखा है. अंग्रेजी के लिए मातृभाषा का तिरस्कार उचित नहीं. अतः चाहे कोई भी विदेशी भाषा को सीखें, पढ़ें या बोलें पर अपनी मातृभाषा को कभी ना भूलें.
कन्हाई लाल, रांची

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