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नकारात्मक लोकप्रियता और मीडिया

-प्रेम कुमार- कभी नकारात्मक लोकप्रियता का पर्याय हो गये थे नेता. हर गलती के लिए, हर होनी-अनहोनी के लिए जिम्मेदार होता था नेता. आज भी इस स्थिति में बदलाव नहीं है. पर, अब मीडिया नकारात्मक लोकप्रियता में नेता बिरादरी को न सिर्फ खुली चुनौती दे रहा है बल्कि उससे कहीं आगे निकल चुका है. नेता […]

-प्रेम कुमार-

कभी नकारात्मक लोकप्रियता का पर्याय हो गये थे नेता. हर गलती के लिए, हर होनी-अनहोनी के लिए जिम्मेदार होता था नेता. आज भी इस स्थिति में बदलाव नहीं है. पर, अब मीडिया नकारात्मक लोकप्रियता में नेता बिरादरी को न सिर्फ खुली चुनौती दे रहा है बल्कि उससे कहीं आगे निकल चुका है.
नेता से बढ़कर एक-दूसरे को कोसता है मीडिया
कभी नेता एक-दूसरे को कोसते थे, एक-दूसरे की छीछालेदर करते थे और मीडिया समाज का आईना बनकर उसे जगजाहिर किया करता था. इस प्रक्रिया में कोई पूर्ण विराम नहीं लगा है. जहां तक हो सकता है, सभी अपनी-अपनी भूमिका में धार देने कोशिश जारी रखे हुए हैं. पर, वक्त बदला है तो समाज भी बदला है. आज मीडिया एक-दूसरे को कोसता है, एक-दूसरे की छीछालेदर करता है और नेता समाज के पथप्रदर्शक की भूमिका ओढ़कर टॉर्च दिखाता नजर आ रहा है. मीडिया का हश्र देखिए कि वह खुद को बुरा-भला कहते इन पथप्रदर्शकों को भी फुटेज देने के लिए विवश है.
मीडिया भी दिखता है समाज के आईने में
यह कैसा विरोधाभास है कि जो मीडिया नकारात्मक लोकप्रियता में कीर्तिमान बना रहा है, वह विवश भी है. वैसे इसमें विरोधाभास वाली बात नहीं होनी चाहिए थी क्योंकि नकारात्मकता तो विवशता का दूसरा नाम होता हैं. चूंकि मीडिया समाज का आईना है इसलिए उसमें उसका खुद का चेहरा भी दिखता है और बहुत साफ दिखता है.
मीडिया से कोई खुश नहीं
आप किसी भी पार्टी के नेता को मीडिया से खुश नहीं देख सकते. वह कोसता नजर आयेगा, कहता नजर आयेगा. मीडिया फलां के हाथों में बिका हुआ है. फलां के कहने पर खबर दिखा रहा है, छाप रहा है. यह बात अरविंद केजरीवाल से लेकर टीम मोदी और टीम राहुल के साथ-साथ लालू-नीतिश-येचुरी-पवार-उद्धव सारे लोग कहते मिल जाएंगे. यह कहना कतई सही नहीं होगा कि ये सारे लोग गलत बोल रहे हैं. लेकिन सवाल है कि क्या सच बोल रहे हैं? जो मीडिया अन्ना आंदोलन के पीछे खड़ा होने का आरोप लिए बढ़ा था, उसी आंदोलन की उपज पोस्टर ब्वॉय की जगह मीडिया ब्वॉय बने अरविंद केजरीवाल अब मीडिया को अपना दुश्मन बताने लगे हैं. जो मीडिया दिन-रात मोदी के गुण गाता है, हर इवेंट लाइव दिखाता है, वह टीम मोदी भी मीडिया को बुरा-भला कहती रहती है. यही हाल राहुल गांधी का है, यही हाल लालू-नीतीश कुमार का है.
सोशल मीडिया में नकारात्मक लोकप्रियता में नेता आगे
सोशल मीडिया पर ऐसे लोग मिल जायेंगे जो मीडिया के बजाय नेताओं को ही नकारात्मक लोकप्रियता में आगे मानते हैं. ऐसे ही लोगों में से एक का एक ट्वीट पाठकों के सामने है-
They split religion
They split Actors
They split Writers
They split Brothers
They split Education
&
They split Media too
They split religion
They split Actors
They split Writers
They split Brothers
They split Education
&
They split Media too#BJPFakeInIndia pic.twitter.com/i4pvLDD4bw
— Bhavesh99T (@Bhavesh99T) June 15, 2017
वैसे ये साफ लगता है कि ये प्रतिक्रिया मोदी सरकार के खिलाफ है और हर विभाजन के लिए इसमें मोदी सरकार को ही दोष दिया गया है. मगर, जरा बारी-बारी से देखें तो क्या धर्म के नाम पर बंटे हुए लोग मीडिया को बिका हुआ नहीं बता रहे हैं? क्या सहिष्णुता और असहिष्णुता के नाम पर बंटे हुए कलाकार मीडिया को चाटुकार नहीं बता रहे हैं? क्या इसी आधार पर बंटे हुए लेखक या साहित्यकार मीडिया पर असहिष्णुता बढ़ाने का दोष नहीं मढ़ रहे हैं? क्या धर्म और जाति के आधार पर बंटे हुए लोग केवल नेताओं को ही जिम्मेदार मानते हैं, क्या वे मीडिया को जिम्मेदार नहीं बता रहे हैं? शिक्षा के प्रति संवेदनशील लोग मीडिया पर समाज को अंधविश्वास, नफरत और नकारात्मकता की ओर ले जाने के लिए जिम्मेदार नहीं बता रहे हैं?
Indian media has a tradition of kissing up to power instead of questioning it. Under Modi it has worsened. [My take] https://t.co/oQUbtp3zfW
— Sadanand Dhume (@dhume) June 15, 2017
बंटे हुए तबके मीडिया पर लगाते हैं बांटने का आरोप
कहने का मतलब ये है कि सोशल मीडिया जिन तबकों को बांटने का आरोप नेताओं पर लगा रहा है, उन्हीं बंटे हुए तबकों का आरोप है कि इन सबके पीछे मीडिया है खुल्लमखुल्ला है. अब ये बात समझ में आ रही है कि नकारात्मक लोकप्रियता में कैसे नेता पिछड़ रहे हैं मीडिया से.
मेरी दिल की बात श्रृंखला के तहत इस बार प्रस्तुत है, "लालू परिवार और मीडिया का रोजगार". आप भी पढ़िए https://t.co/iMUNBThqdZ
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) June 15, 2017
तेजस्वी का दर्द है कि लालू का श्यामपक्ष ही मीडिया ने दिखाया
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने फेसबुक पर दिल की बात लिखी है. इसमें उन्होंने मीडिया को बीजेपी परस्त बताते हुए कहा है कि लालू प्रसाद जिन बदलावों के वाहक रहे, जिस तरह हिंदू बनकर जीया, जिस तरीके देश को सांप्रदायिकता से बचाया…वगैरह-वगैरह…उस हिसाब से मीडिया ने लालूजी को कभी महत्वपूर्ण बताकर पेश नहीं किया. लालूजी की उपलब्धियों को नजरअंदाज किया और फालतू की नकारात्मक बातों का जानबूझकर प्रसार किया.
@RDATT26 some media houses showing false news and trying to defame innocent saints like Bapuji for money #MoneyMindedMedia pic.twitter.com/2q4zPjOHr7
— Deepak Nagpal (@deepz4u) June 15, 2017
आसाराम के भक्त भी हैं मीडिया से दुखी
आसाराम बापू का एक भक्त ट्वीट करता है कि मीडिया बिका हुआ है और इसलिए वह आसाराम बापू के पीछे हाथ धोकर पड़ा है. इसी तरह कथित हिंदूवाद समर्थक ट्वीट करता है कि मीडिया बिका हुआ है, इसलिए वह केवल हिंदुओं के खिलाफ छापता और दिखाता है. अल्पसंख्यकों का अलग ही रोना है जो अपनी हर दुर्दशा के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराता है.
नक्सलवादी हो या अलगाववादी, मीडिया से हैं नाराज
नक्सलवादी कोसते हैं मीडिया को कि वह केवल सरकारी सोच सामने रखता है. पुलिस जुल्म की बातों को दबाता है और जवाबी हिंसा को ही उभारता है. कश्मीरी अलगाववादी रोते हैं कि मीडिया ने उनके आंदोलन को बदनाम कर दिया. कभी उस आंदोलन की सोच से जुड़ने की भारतीय मीडिया ने जरूरत ही नहीं समझी.
"खबर वही जो सरकार छिपाए"
किस मीडिया की बात हो रही है? मीडिया, मीडिया को ही कह रहा है कि वह विवश है चाहे लोभवश या भयवश! अरुण शौरी ने टीवी टुडे प्रमुख अरुण पुरी के हवाले से न्यूज़ की एक परिभाषा सामने रखी- News is that the government wants to hide else is the propaganda. वाकई ये शानदार परिभाषा है न्यूज़ की, लेकिन तब उन्होंने इस परिभाषा का जिक्र क्यों नहीं किया जब सरकार का हिस्सा थे. केंद्र में मंत्री थे. इस वक्त तो वो मीडिया को ही कोसते नजर आ रहे हैं, मीडिया की ही नकारात्मक लोकप्रियता बढ़ाते नज़र आ रहे हैं. अब तक इन पंक्तियों के लेखक को यह विश्वास हो चला है कि यह बात साबित हो गयी है कि नकारात्मक लोकप्रियता में मीडिया ने सबको पीछे छोड़ दिया है.
( 21 साल से प्रिंट व टीवी पत्रकारिता में सक्रिय, संप्रति सामाजिक व देशहित में कार्य कर रही ब्लू क्राफ्ट डिजिटल मीडिया से जुड़े हुए हैं, prempu.kumar@gmail.com)

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