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सड़कों पर ही लग रहा सब्जी बाजार, व्यवस्थित करने में प्रशासन विफल

राजधानी रांची की सड़कें ही सब्जी बाजार में तब्दील हो गयी हैं. रांची नगर निगम इनके पुनर्वास को लेकर आज तक गंभीर नहीं हुआ. घोषणाएं तो बहुत हुईं, लेकिन हुआ कुछ नहीं. ले-दे कर अब तक एक वेंडर मार्केट बना है, जहां फुटपाथ दुकानदारों के साथ ही मेनरोड के सब्जी दुकानदारों को भी शिफ्ट किया […]

राजधानी रांची की सड़कें ही सब्जी बाजार में तब्दील हो गयी हैं. रांची नगर निगम इनके पुनर्वास को लेकर आज तक गंभीर नहीं हुआ. घोषणाएं तो बहुत हुईं, लेकिन हुआ कुछ नहीं. ले-दे कर अब तक एक वेंडर मार्केट बना है, जहां फुटपाथ दुकानदारों के साथ ही मेनरोड के सब्जी दुकानदारों को भी शिफ्ट किया जाना है, लेकिन यह भी उदघाटन के बाद से ही विवादों में उलझा हुआ है, जिसकी वजह से आज तक इसमें दुकानदारों का पुनर्वास नहीं हो पाया. कोकर डिस्टिलरी तालाब में भी एक सब्जी मार्केट बनाने का काम चल रहा है, पर यह कब पूरा होगा, कहना मुश्किल है. प्रस्तुत है राणा प्रताप और उत्तम महतो की रिपोर्ट

राजधानी में दिन प्रतिदिन सड़क पर बैठक कर सब्जी बेचनेवाले दुकानदारों की संख्या बढ़ती जा रही है. प्रशासन और नगर निगम इनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने में अब तक विफल रहा है. रांची नगर निगम ने वर्ष 2012 में इनके पुनर्वास के लिए 13 वेंडिंग जोन का निर्धारण किया था. इसमें जयपाल सिंह स्टेडियम का दक्षिणी भाग, सर्वे मैदान, नागा बाबा खटाल, पुरुलिया रोड, रेलवे स्टेशन रोड, हटिया रेलवे स्टेशन रोड, बरियातू रोड, हरमू आवास बोर्ड की जमीन, साधु मैदान कोकर, नामकुम रेलवे स्टेशन के समीप जगह चिह्नित की गयी थी.
मौजूदा स्थिति यह है कि इनमें से केवल जयपाल सिंह स्टेडियम में ही ‘अटल स्मृति वेंडर मार्केट’ का निर्माण करवाया गया है. कचहरी चौक से अलबर्ट एक्का चौक तक के फुटपाथ दुकानदारों के साथ-साथ इस इलाके में सड़क किनारे सब्जी बेचनेवाले दुकानदारों को भी इसमें व्यवस्थित किया जाना है.
इसमें 48 करोड़ रुपये की लागत से बने इस वेंडर मार्केट का उदघाटन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था. यहां दुकानआवंटन में भारी खेल हुआ. ऐसे लोगों को भी दुकानें आवंटित कर दी गयी, जिन्होंने कभी फुटपाथ पर दुकानें नहीं लगायी थीं. मामले के तूल पकड़ने के बाद नगर निगम फर्जी दुकानदारों का नाम आवंटियों की सूची से हटा रहा है. इधर, विवाद के कारण अब तक इस मार्केट में दुकानदारों को बसाया नहीं जा सका है.
फिललहाल आलम यह है कि शहर के लगभग हर भाग में सडकों पर ही सब्जी की दुकानें लग रही हैं. इससे सड़कें संकरी हो गयी हैं. वाहनों की तो बात ही क्या करें, लोगों का पैदल चलना भी इन सड़कों पर मुश्किल हो जाता है. अधिकतर जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, पर जहां है, वहां भी ये सड़कों प ही दुकानें लगाते हैं. इसलिए इस समस्या से निजात के लिए पूरे संकल्प के साथ व्यावहारिक योजना बनानये जाने की जरूरत है.
सप्ताह में दो दिन लगता है हाट
मोरहाबादी मैदान में पिछले एक दशक से हर बुधवार व शनिवार को हाट लगता है. कांके, सुकुरहुटु व आसपास के ग्रामीण यहां सड़क किनारे सब्जी बेचते हैं. नगर निगम के पास इन दुकानदारों को बसाने की कोई योजना नहीं है. जबकि राजधानी के कई गणमान्य लोग यह प्रस्ताव दे चुके हैं कि वे इन दुकानदारों को शेड बनाकर देंगे. लेकिन नगर निगम न तो खुद कुछ कर रहा है, न दूसरों को कुछ करने दे रहा है.
दुकानों के कारण लगता है जाम
पिछले 25 साल से सप्ताह के सातों दिन लालपुर में सड़क किनारे सब्जी बाजार लगता है. यहां दुकानदार नाली के ऊपर और नाली के किनारे दुकानें लगाते हैं, लेकिन अब तक इन दुकानदारों को स्थायी रूप से नहीं बसाया गया है. हालांकि, नगर निगम द्वारा वर्तमान में डिस्टिलरी पुल के समीप एक अंडरग्राउंड मार्केट का निर्माण करा रहा है, जिसमें 122 दुकानदारों को दुकानें आवंटित की जायेंगी.
मार्केट में नहीं लगा रहे दुकान
मधुकम सब्जी मंडी के दुकानदारों को व्यवस्थित करने के लिए वर्ष 2015 में यहां सब्जी मार्केट बनाया गया. उदघाटन के बाद इस मार्केट में दुकानदारों को दुकानें भी आवंटित कर दी गयीं, लेकिन आज भी यहां दुकानदार सड़क किनारे ही सब्जी की दुकान लगाते आ रहे हैं. उनका कहना है कि मार्केट में दुकान लगाने से कोई खरीदारी करने आता नहीं है. सड़क किनारे दुकान लगाने से अधिक ग्राहक मिलते हैं.
आधी सड़क पर कब्जा
मेन रोड शहर की सबसे प्रमुख सड़क है. इस पर जाम के कारण वाहन रेंगते रहते हैं. इसकी मुख्य वजह फुटपाथ दुकानदार है. लेकिन, नगर निगम ने इस सड़क को जाममुक्त बनाने और फुटपाथ दुकानदारों को बसाने पर कोई फैसला नहीं लिया है. हालत यह है कि अलबर्ट एक्का चौक से एकरा मस्जिद चौक तक सड़क के आधे हिस्से में फुटपाथ दुकानदार बेधड़क अपनी दुकानें लगाते हैं.
टाउन वेंडिंग कमेटी में निर्धारित
सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं
रांची नगर निगम की टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन कानूनी दृष्टिकोण से सही प्रतीत नहीं होता है. इसके गठन में स्थापित प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. पथ विक्रेता अधिनियम-2014 की धारा-22 के तहत टाउन वेंडिंग कमेटी का गठन करने का प्रावधान है. कमेटी में 30 सदस्य रहते हैं. गजट में अधिसूचना प्रकाशित होने के बाद लागू मानी जाती है. रांची नगर निगम ने भी वर्ष 2018 में टाउन वेंडिंग कमेटी (टीवीसी) बनायी. कमेटी में निर्धारित सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं है.
इसमें 27 सदस्य हैं. एससी कैटेगरी के दो सदस्य, दिव्यांग के एक सदस्य, अल्पसंख्यक कैटेगरी से एक सदस्य, पिछड़ा वर्ग से एक व अत्यंत पिछड़ा वर्ग से एक सदस्य (महिला) लेना है, लेकिन रांची नगर निगम द्वारा गठित की गयी टीवीसी में उक्त वर्गों से किसी को सदस्य नहीं बनाया गया है. इतना ही नहीं 30 सदस्यीय टीवीसी गठन संबंधी अधिसूचना गजट में प्रकाशित हुए बिना ही कई बैठकों में कई निर्णय लिये गये हैं. बताया गया कि जब तक गजट में टीवीसी गठन की अधिसूचना प्रकाशित नहीं होती है, तब तक समिति द्वारा लिया गया सभी निर्णय असंवैधानिक व अवैध है.

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