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एनएफ रेलवे पर बढ़ा गति नियंत्रण का दबाव

देश में हाथियों की सर्वाधिक मौत पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन में जलपाईगुड़ी : एक बार फिर हाथी शावक की दुर्घटना में मौत के बाद एनएफ रेलवे पर रफ्तार पर रोक लगाने का दबाव बढ़ गया है. उल्लेखनीय है कि बीते रविवार को अलीपुरद्वार जंक्शन से सिलीगुड़ी जंक्शन जाने वाल इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में […]

देश में हाथियों की सर्वाधिक मौत पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन में

जलपाईगुड़ी : एक बार फिर हाथी शावक की दुर्घटना में मौत के बाद एनएफ रेलवे पर रफ्तार पर रोक लगाने का दबाव बढ़ गया है. उल्लेखनीय है कि बीते रविवार को अलीपुरद्वार जंक्शन से सिलीगुड़ी जंक्शन जाने वाल इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन की चपेट में आकर एक हाथी शावक की मौत बानरहाट और बिन्नागुड़ी के बीच रेलवे लाइन पर हो गयी थी. पता चला है कि एक और हाथी उस घटना में जख्मी हुआ है.
हालांकि सोमवार को वनकर्मी कुनकी हाथी की मदद से भी जख्मी हाथी की तलाश नहीं कर सके हैं. वहीं, रेलवे के अधिकारियों ने इस विषय में कोई मंतव्य नहीं किया है. जबकि भारतीय रेलवे के पक्ष से केंद्र सरकार को सौंपी गयी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि देश के सभी जोन में से एनएफ रेलवे के क्षेत्र में हाथियों की सर्वाधिक मौत हुई हैं.
इससे भी एनएफ रेलवे प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है जबकि वन विभाग ने रेलवे पर समन्वय नहीं रखने और गति सीमा के नियंत्रण में विफलता का आरोप लगाया है. उल्लेखनीय है कि रिपोर्ट के मुताबिक बीते चार साल में रेलवे के 12 जोन में से पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे जोन में हाथियों की दुर्घटना में सर्वाधिक 37 हाथियों की मौत हुई है. बानरहाट में हाथी शावक की मौत के बाद इस रिपोर्ट का संकेत महत्वपूर्ण हो जाता है.
भारतीय रेल की रिपोर्ट के अनुसार एनएफ रेलवे के जोन में वर्ष 2015 में नौ, 2016 में नौ, 2017 में 10 और 2018 में नवंबर तक नौ हाथियों की मौत हो चुकी है. कुल चार साल में 37 हाथियों की मौत इसी जोन में हुई है जो चिंताजनक है. वहीं, इसी अवधि में रेलवे के दक्षिण पूर्वी जोन में 13, पश्चिम-केंद्रीय और दक्षिण-पूर्वी रेल में 12-12 हाथियों की मौत हुई है. पूरे देश में चार साल में 107 हाथियों की मौत हुई है.
राज्य वन्य प्राणी डिवीजन के अतिरिक्त प्रधान वनपाल विपिन सूद ने बताया कि वनकर्मियों ने रेलवे लाइनों के दोनों तरफ कई जगह झाड़ियों की सफाई की है. डुआर्स के रेलमार्ग पर मीटर गेज से डबल लाइन बनने से ट्रेनों की यातायात बढ़ी है. हालांकि बार बार कहने के बावजूद रेलवे ट्रेनों की गति को नियंत्रित करने में विफल रही है. हम लोग अपनी तरफ से रेलवे के साथ समन्वय का प्रयास करते हैं.
लेकिन रेलवे के पक्ष से सकारात्मक कदम नहीं उठाये जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि गोरुमारा वन्य प्राणी डिवीजन की डीएफओ निशा गोस्वामी अगर रिपोर्ट देती हैं तो रेलवे के साथ हाथियों की मौत को लेकर बात की जायेगी. इसके पहले रेलवे ने अंडरपास और हाथियों के लिये रैम्प का प्रस्ताव दिया था. लेकिन हम उस पर राजी नहीं हुए. चूंकि इससे हाथियों के स्वाभाविक आवागमन में बाधा पहुंचेगी. वहीं, फेनसिंग के जरिये आवागमन पर रोक वैज्ञानिक नहीं है. ट्रेनों के चालक को सतर्क रहना होगा. हम लोग उन्हें समय पर सूचना देते हैं.
डीएफओ निशा गोस्वामी ने बताया कि उनके साथ रेलवे का एक संयुक्त व्हाट्सएप ग्रुप है जिसके जरिये रविवार को रेलवे को हाथियों के आगमन की सूचना दी गयी थी. हालांकि उसके बावजूद हादसा कैसे हो गया यह समझ से बाहर है. रफ्तार को लेकर भी बात हुई है. बानरहाट थाने में रेलवे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है.
बीते रविवार की घटना के बारे में संबंधित ट्रेन के चालक प्रकाश कुमार ने बताया कि उन्हें 10-15 मीटर की दूरी से हाथियों की मौजूदगी दिखी. लेकिन इमरजेंसी ब्रेक लगाने के बावजूद हादसा हो गया. उस समय ट्रेन 30-35 किमी प्रति घंटे की गति पर जा रही थी. वहीं, राज्य वन्य प्राणी बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य जयदीप कुंडू ने बताया कि खुद रेलवे की समीक्षा रिपोर्ट यह साबित कर रही है कि एनएफ रेलवे प्रशासन कितना लापरवाह है. जिस तरह से समन्वय रखने पर सहमति बनी है उस हिसाब से तो हादसे होने ही नहीं चाहिये.
उधर, स्पर नामक वन्य प्रेमी संगठन के सचिव श्यामा प्रसाद पांडेय ने कहा कि दो राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समन्वय से ही इस संकट को दूर किया जा सकता है.

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