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चंद महीनों में ही फिर बंद हो गया ग्रासमोड़ चाय बागान

नागराकाटा : डुआर्स के नागराकाटा ब्लॉक स्थित ग्रासमोड़ चाय बागान एक बार फिर से बंद हो गया है. इससे वहां के 1225 श्रमिकों का भविष्य अंधकार में पड़ गया है. बताया जा रहा है कि बकाया मजदूरी नहीं दे पाने के वजह से चाय बागान प्रबंधन सोमवार रात चुपचाप बागान से निकल गया. कैरन के […]

नागराकाटा : डुआर्स के नागराकाटा ब्लॉक स्थित ग्रासमोड़ चाय बागान एक बार फिर से बंद हो गया है. इससे वहां के 1225 श्रमिकों का भविष्य अंधकार में पड़ गया है. बताया जा रहा है कि बकाया मजदूरी नहीं दे पाने के वजह से चाय बागान प्रबंधन सोमवार रात चुपचाप बागान से निकल गया. कैरन के बाद एक दिन बाद ही ग्रासमोड़ चाय बागान बंद होने से डुआर्स के चाय उद्योग में बेचैनी बढ़ गयी है.
श्रमिकों से मिली जानकारी के अनुसार, ग्रासमोड़ बागान में फिलहाल पुराना पांच और नया दो मिलाकर कुल सात मजदूरी का करीब 57 लाख रुपया श्रमिकों का बकाया है. पीएफ, ग्रेच्युटी आदि जोड़कर श्रमिकों के आठ करोड़ रुपये से ज्यादा का मालिक को भुगतान करना है.
बागान बंद होने से आक्रोशित श्रमिकों ने कई घंटों तक चाय बागान के मुख्य कार्यालय के सामने विरोध प्रदर्शन किया और तुरंत बागान खोले जाने की मांग की. महिला श्रमिकों लीला घले, सोमरी उरांव, विमला सबर, गौरी प्रधान ने कहा कि हमलोगों ने मालिक की बात पर भरोसा करके भूखे पेट रहकर भी काम किया, लेकिन मालिक ने हमारा हित कभी नहीं सोचा. अब हम इस मालिक को किसी हालत में देखना नहीं चाहते.
यदि सरकार नये मालिक को बागान संचालन की जिम्मेदारी देती है तो हम उसका साथ देंगे. तृणमूल मजदूर यूनियन के सचिव राजू घले ने भी नये मालिक की मांग रखी. उन्हों कहा कि जल्द कदम नहीं उठाया गया तो नतीजों की जिम्मेदारी प्रशासन की होगी.
नागराकाटा ब्लॉक तृणमूल अध्यक्ष एवं चाय श्रमिक नेता अमरनाथ झा ने कहा कि बागान बंद होने की खबर एएलसी और डीएलसी को दी गयी है. इस बारे में 18 जनवरी को एएलसी ने बैठक बुलाने की बात कही है.
तृणमूल मजदूर यूनियन के महासचिव एवं नागराकाटा विधायक सुकरा मुंडा ने मालिक पक्ष्ज्ञ की निंदा करते हुए कहा कि चाय बागान खोलने के लिए जल्द जरूरी उपाय किये जायेंगे.
बागान बंद होने की खबर पाकर भाजपा समर्थित चाय बागान मजदूर यूनियन के नेता जॉन बारला भी पहुंचे और डुआर्स में एक के बाद एक चाय बागान बंद होने पर चिंता जतायी.
उन्होंने कहा कि यदि कोई मालिक बिना कारण चाय बागान बंद करता है तो उस पर प्रशासनिक कार्रवाई होनी चाहिए. यदि बागान जल्द नहीं खुला तो आंदोलन किया जायेगा.
सीपीआइएम समर्थित चाय मजदूर यूनियन के महासचिव जियाउल आलम ने बागान बंद होने के पीछे सरकार और मालिक की मिलीभगत का आरोप लगाया. सरकार को बागान छोड़कर भागनेवाले मालिक पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.
मालिकों के संगठन, टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डुआर्स सचिव राम अवतार शर्मा ने कहा कि अभी तक चाय बागान बंद होने का सूचना उन्हें नहीं मिली है. मामले को वह देखेंगे. इस विषय में माल एसडीओ सियाद एन ने भी आधिकारिक सूचना अभी तक नहीं मिलने की बात कही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रशासन हमेशा श्रमिकों के साथ है.
जहां भी समस्या होगी प्रशासन कदम उठायेगा. मालबाजार डीएलसी पार्थ विश्वास ने कहा कि बागान बंद होने की मालिक पक्ष ने सूचना नहीं दी है. फिर भी समस्या समाधान के लिए 18 जनवरी को वह एक बैठक करेंगे.
जुलाई 2018 से कई बार खुला और बंद हुआ
ग्रासमोड़ चाय बागान बकाया राशि भुगतान नहीं कर पाने के कारण 3 जुलाई 2018 को बिना नोटिस के बंद हो गया था.
इसके बाद श्रमिकों व श्रम विभाग के प्रयास से बागान 10 जुलाई को दोबारा खुला. लेकिन समझौते के मुताबिक बकाया मजदूरी नहीं दे पाने के कारण 23 जुलाई को प्रबंधक चाय बागान से फिर पलायन कर गया.
अगस्त में नया मालिक आया, पर सितंबर में वह भी भाग गया. काफी मशक्कत के बाद 8 अक्तूबर चाय बागान खुला. तब से बागान चल रहा था, लेकिन 15 जनवरी 2019 को बागान एक बार फिर बंद हो गया.

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