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लव मैरिज पर टूट रहा है धोखे का कहर, 100 रुपये के नोटरी की कानूनी हैसियत शून्य, नहीं मिल पा रहा न्याय

अनुपम कुमारी पटना : जिया ने पांच साल पहले वैशाली के पप्पू से सात जन्मों तक जीने मरने की कसमें खाकर शादी की थी. सौ रुपये की नोटरी पर इसे दर्ज भी कराया था. जिया को इस बात का पता तक नहीं था कि शादी के मामले में नोटरी की कोई कानूनी हैसियत नहीं है. […]

अनुपम कुमारी
पटना : जिया ने पांच साल पहले वैशाली के पप्पू से सात जन्मों तक जीने मरने की कसमें खाकर शादी की थी. सौ रुपये की नोटरी पर इसे दर्ज भी कराया था. जिया को इस बात का पता तक नहीं था कि शादी के मामले में नोटरी की कोई कानूनी हैसियत नहीं है. कुछ साल तो उसके अच्छे गुजरे. उसके बाद पप्पू को कोई दूसरा भा गया. बिना किसी खास वजह से पति ने उसे साथ रखने से मना कर दिया. तब तक जिया गर्भवती भी हो चुकी थी.
पति से धोखा खायी जिया ने नोटरी के आधार पर अपनी शादी के रिश्ते की दुहाई दी, तब उसे बताया गया कि नोटरी की शादी का कोई कानूनी मान्यता नहीं है, इसके बाद वह निराशा के भंवर में ऐसी खाेयी कि उसे अपना जीवन बोझ लगने लगा. हालांकि वह अब हिम्मत जुटाकर महिला हेल्पलाइन की शरण में पहुंची
है. उसे उम्मीद है कि उसे ब्याहता का हक मिले या नहीं मिले,उसके बच्चे को उसका हक जरूर मिलना चाहिए.घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत लिव इन रिलेशनशिप को मान्यता है. अलबत्ता प्रेम विवाह रचाने वालों खासतौर पर लड़कियों के लिए एक सबक जरूर साबित हो सकता है, जो भावुकता में प्रेमी को अपना सब कुछ सौंप देती हैं.
केस रिपोर्ट बताती हैं कि शपथपत्र के आधार पर लव मैरिज रचानेवालों के लिए प्यार का बंधन टिकाऊ साबित नहीं हो रहा है.समाज से परे इन शादियों को कानूनी मान्यता नहीं मिल पा रही है. सच्चाई यह है कि सौ रुपये के जिस शपथपत्र पर प्रेमी युगल पवित्र बंधन काे मजबूती देते हैं, उसकी कानूनी हैसियत रद्दी के टुकड़े से ज्यादा नहीं है. दरअसल दिक्कत तब आती है, जब इन युगलों के जीवन में कोई तीसरा आ जाता है.
तब यह शपथपत्र उनके रिश्ते को मजबूती नहीं दे पाता. ऐसी कई लड़कियां हैं, जो शपथपत्र पर साथ-साथ हस्ताक्षर करनेवाले पतियों के धोखे के शिकार हुई हैं. उनके प्रेमी पति कानून के सामने केवल कथित ही साबित हो रहे हैं. ऐसे में वे अपने को ठगी महसूस कर रही हैं.
निराशा के इस दौर में वे अपना हक और शादी को कानूनी मान्यता दिलाने के लिए महिला हेल्पलाइन के सामने पहुंच रही हैं. दरअसल शपथपत्र के आधार पर ये लड़कियां अपने को ब्याहता साबित नहीं कर पाती. अधिकतर मामले में प्रेम विवाह रचानेवाले लड़के दूसरी शादी कर लेते हैं.
कोट
हिंदू मैरिज एक्ट के तहत दो तरह से की गयी शादियाें को कानूनी रूप से वैध माना गया है. हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार यदि निबंधित मंदिर में अग्नि के साथ सात फेरे ली गयी हो. साथ ही मंदिर का रशीद हो. मंदिर रजिस्ट्रेशन एक्ट अौर धार्मिक न्यास बोर्ड के तहत रजिस्ट्रड होना जरूरी है. वहीं, दूसरी ओर कोर्ट मैरिज जो रजिस्टार के समक्ष की गयी हो.
सीमा कुमारी, अधिवक्ता, सिविल कोर्ट
कोट
महिलाओं को जागरूक होने की जरूरत है. मंदिर और नोटरी पेपर पर की गयी शादियों काे कानूनी रूप से मान्यता नहीं होने से जब रिश्तों में खटास आती है, तो ऐसी स्थिति में महिलाएं न्याय प्रक्रिया से वंचित रह जाती हैं. उनके पास उनकी शादी तक का कोई प्रुफ नहीं होता है. यहां तक ऐसी स्थिति में प्रेम विवाह करनेवाली लड़कियों को परिवारवालों का साथ भी नहीं मिल पाता है. इससे वे कई बार आत्महत्या तक कदम उठा लेती हैं.
प्रमिला कुमारी, परियोजना प्रबंधक, महिला हेल्पलाइन
ऐसे करें कोर्ट मैरिज
विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत कोर्ट मैरिज का प्रावधान है, जो रजिस्टार के समक्ष की जाती है. इसके लिए रजिस्ट्री कार्यालय में एज और एड्रेस प्रूफ और लड़का-लड़की को चार-चार पासपोर्ट साइज फोटो के साथ विवाह के लिए आवेदन करना होता है. आवेदन जमा करने के बाद कार्यालय द्वारा उसे नोटिस बोर्ड में 30 दिनों तक आपत्ति ली जाती है.
30 दिन बाद वह रजिस्टार के समक्ष उनकी शादी कर दी जाती है. वहीं, जिनकी शादियां परिवार के सदस्यों के साथ सामाजिक रूप से या किसी मंदिर में की जाती है. उनके लिए भी कोर्ट से निबंधन कराने का प्रावधान बनाया गया है. जहां, वह अपनी शादी का निबंधन करा का कानूनी रूप से मुहर लगवा सकती है.
महिला हेल्पलाइन में पहुंच रहीं नोटरी पर प्रेम विवाह रचानेवाली युवतियां
केस वन
राजाबाजार निवासी, परिवर्तित नाम कुसुम ने वर्ष 2012 में प्रेम विवाह रचाया था. उसने दरभंगा कोर्ट में 100 रुपये के नोटरी पर दोनों ने साथ जीने और मरने की कस्में भी खायीं. पर शादी के कुछ सालों बाद कुसुम को पता चला कि उसके पति का संबंध किसी अन्य महिला के साथ है.
जब कुसुम ने इसका विरोध किया, तो पति ने उसे पत्नी मानने से भी इन्कार कर दिया. बाद में जब उसने महिला हेल्पलाइन में केस दर्ज कराया तो, पता चला कि उसकी शादी महज सौ रुपये की नोटरी पर की गयी है. जिसका कोई मूल्य नहीं है. क्योंकि, कानूनी रूप से वह मान्य नहीं है.
केस टू
शिवहर जिला निवासी, परिवर्तित नाम प्रिया ने अपने चार साल से चल रहे प्रेम-संबंधों को मुक्कमल जहां देने के लिए पहले तो मंदिर में शादी रचा ली, इसके बाद उसने नादानी में 100 रुपये की नोटरी पेपर पर शादी कर डाली.
पर अब अपनी सुरक्षा को लेकर कभी दोस्तों के घर तो कभी रिश्तेदारों के यहां शरण ले रही है. इससे बचने के लिए अब वह महिला आयोग में शरण ली है. जहां, उसकी नोटरी की शादी को सबूत मानने से इन्कार कर दिया है. अब वह मंदिर के रशीद जुटाने में लगी है. ताकि, वह अपनी शादी का सबूत दे सकें.
महीने में 35 से 40 मामले होते हैं दर्ज
फिलहाल महिला हेल्पलाइन की मानें, तो महीने में 35 से 40 मामले दर्ज होते हैं. इनमें आठ से दस मामले प्रेम विवाह के होते हैं. इनमें ज्यादातर शादियां मंदिर और नोटरी पेपर पर हुई रहती हैं. लेकिन, जब वह उसे बचाने के लिए कानून का सहारा लेती हैं, तो फिर उनकी नोटरी की शादी मान्य नहीं होने से उन्हें न्याय से वंचित रहना पड़ता है.

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