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रांची : जेनेरेटर कार और बोगी की कमी से लेट हो रहीं रांची से खुलनेवाली ट्रेनें

आठ माह पहले ट्रेनों के परिचालन में नंबर वन थे, आज फिसड्डी हो गये रांची : रांची रेल मंडल ट्रेनों के परिचालन में अक्तूबर 2018 में देश में नंबर वन स्थान पर था. लेकिन मौजूदा स्थित के बारे में यहां के अधिकारी कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. इधर, सूत्रों बताते हैं कि रांची रेल […]

आठ माह पहले ट्रेनों के परिचालन में नंबर वन थे, आज फिसड्डी हो गये
रांची : रांची रेल मंडल ट्रेनों के परिचालन में अक्तूबर 2018 में देश में नंबर वन स्थान पर था. लेकिन मौजूदा स्थित के बारे में यहां के अधिकारी कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं. इधर, सूत्रों बताते हैं कि रांची रेल मंडल वर्तमान में ट्रेन परिचालन में 20वें स्थान पर है. रांची रेल मंडल में कोच और जेनेरेटर कार की कमी होना इसकी मूल वजह है.
कोच और जेनेरेटर कार के अभाव में रांची और हटिया स्टेशन से कई ट्रेनें अक्सर विलंब से रवाना हो रही हैं. हाल के दिनों में हटिया-पुणे एक्सप्रेस, धरती आबा एक्सप्रेस सहित अन्य ट्रेन विलंब से रवाना हुईं. ट्रेनों के बार-बार रिशेड्यूल होने और गर्मी से परेशान यात्रियों ने हटिया स्टेशन पर हंगामा भी किया था. इसके बावजूद रेलवे ने अब तक इस समस्या कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला है. जानकारी के अनुसार रांची रेल मंडल को कुल 809 कोच की जरूरत है, लेकिन उपलब्धता 736 कोच की है.
वहीं, 11 जेनरेटर कार की जगह 10 से काम चलाना पड़ रहा है. इसमें से भी एक-दो अक्सर खराब ही रहती हैं. अगर किसी ट्रेन का जेनेरेटर कार खराब हुई, तो रांची रेल मंडल में आनेवाली ट्रेन का इंतजार किया जाता है. ट्रेन आने के बाद दो से तीन घंटा जेनेरेटर कार को बदलने में लगता है, इसके बाद ट्रेन रवाना होती है.
26 अनारक्षित कोच की भी जरूरत है रांची डिवीजन को
रांची रेल मंडल को 202 अनारक्षित कोच की जरूरत है. जबकि, महज 176 कोच ही उपलब्ध कराये गये हैं. इस कारण चौपण एक्सप्रेस, रांची-बनारस इंटरसिटी, रांची-लोहरदगा सहित अन्य पैसेंजर ट्रेनों में कोच की संख्या कम कर दी जाती है. कोच की संख्या कम होने से यात्रियों को भारी परेशानी होती है.
स्लीपर की 10 बोगियां कम दूसरे ट्रेन से ली जाती हैं
रांची रेल डिवीजन से खुलने वाली ट्रेनों में स्लीपर कोच की भी कमी है. डिवीजन को 216 स्लीपर कोच की जरूरत है, जबकि 206 कोच ही उपलब्ध हैं. कोच की कमी के कारण आनेवाली ट्रेनों का इंतजार किया जाता है. जब दूसरी ट्रेन आती है, तो तीन घंटे बाद उस ट्रेन से काेच को लगाया जाता है.
गार्ड एसएलआर बोगी के बगैर जाती है कई ट्रेन
रांची मंडल को 72 गार्ड एसएलआर बोगी चाहिए. जबकि उपलब्ध महज 60 है. ट्रेन में इंजन के बाद व ट्रेन के सबसे अंत में एक-एक गार्ड एसएलआर बोगी लगती है. उपलब्धता नहीं होने के कारण कई ट्रेनों में एक एसएलआर बोगी से काम चलाया जाता है. इससे समान की ढुलाई नहीं हो पाती है. कई ट्रेनों का इंजन मुरी में रिवर्स किया जाता है. एसएलआर बोगी की कमी के कारण कई ट्रेनें एक घंटा विलंब से मुरी से रवाना होती हैं.
थर्ड एसी की बोगियां भी कम हैं रांची डिवीजन में
रांची रेल डिवीजन में थर्ड एसी की 71 बोगी की जरूरत है, जबकि 70 बोगियां ही उपलब्ध हैं. गर्मी में प्रतिदिन औसतन तीन से चार थर्ड एसी की बोगी रिपेयर के लिए आती हैं. ऐसे में आवश्यकता से अधिक बोगी नहीं रहने से रेल प्रबंधन द्वारा एक ट्रेन की थर्ड एसी बोगी काट कर दूसरी में लगायी जाती है. इस प्रक्रिया में तीन घंटे का समय लगता है और ट्रेन विलंब से अपने गंतव्य के लिए रवाना की जाती है.
रांची रेल मंडल में जेनरेटर कार और कोच की कमी है. इससे यात्रियों को हो रही परेशानी की जानकारी मुख्यालय को समय-समय पर जानकारी दी जाती है. डिवीजन के अधिकारियों को बेहतर समन्वय कर ट्रेन परिचालन का निर्देश दिया गया है, ताकि ट्रेनें लेट न हों.
नीरज कुमार, सीपीआरओ, रांची रेल मंडल

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