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रांची : पीसीसीएफ ने लिखी चिट्ठी, आइएफएस आनंद मोहन शर्मा पर करें कार्रवाई

रांची : वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) आनंद मोहन शर्मा पर कार्रवाई के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) संजय कुमार ने लिखा है. पीसीसीएफ ने कार्रवाई का आग्रह विभाग के अपर मुख्य सचिव से किया है. शर्मा पर गिरिडीह में पदस्थापन के दौरान वन भूमि को गैर वन भूमि बता कर […]

रांची : वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) आनंद मोहन शर्मा पर कार्रवाई के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) संजय कुमार ने लिखा है. पीसीसीएफ ने कार्रवाई का आग्रह विभाग के अपर मुख्य सचिव से किया है.

शर्मा पर गिरिडीह में पदस्थापन के दौरान वन भूमि को गैर वन भूमि बता कर अनापति प्रमाण पत्र देने का आरोप है. इस मामले में शर्मा से स्पष्टीकरण भी पूछा गया था. उनके स्पष्टीकरण से विभाग संतुष्ट नहीं हुआ. उन्होंने करीब 152.50 एकड़ वन भूमि को गैर वन भूमि बता दिया गया था. कई एजेंसियों और निजी व्यक्तियों को क्षतिपूरक वन रोपण के लिए दे दिया था.

स्पष्टीकरण स्वीकार्य योग्य नहीं बताया था

वन विभाग के अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर पीसीसीएफ ने कहा है कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी आनंद मोहन शर्मा ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर स्पष्टीकरण दिया था. स्पष्टीकरण पर विचार के लिए बोकारो के आरसीसीएफ को भेजा गया था.

इसमें आरसीसीएफ ने स्पष्ट किया है कि जिस वन भूमि (मौजा भातुडीह, थाना देवरी, थाना नंबर-95, प्लाट नंबर-27, 62, 72. 79, 94, 100, 4, 14 आदि) को गैर वन भूमि में अधिसूचित किया गया है, उसका दस्तावेज प्रमंडलीय कार्यालय में उपलब्ध है. उक्त सभी जमीन 1.12.1954 में वन भूमि के रूप में अधिसूचित है. इस कारण शर्मा का स्पष्टीकरण स्वीकार्ययोग्य नहीं है.

पूर्व पीसीसीएफ ने भी लिखा था कार्रवाई के लिए : 2016 में मामला प्रकाश में आने के बाद पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक बीसी निगम ने तत्कालीन प्रधान सचिव को कार्रवाई के लिए लिखा था. निगम ने लिखा था कि शर्मा पर लगा आरोप काफी जटिल है. सभी दस्तावेजों की जांच जरूरी थी.

इसके लिए क्षेत्रीय मुख्य संरक्षक का मंतव्य भी मांगा गया था. मामले की जांच से यह पता चला है कि संबंधित अधिकारी ने स्पष्ट रूप से कथित एवं अधिसूचित वन भूमि को गैर वन भूमि करार देकर उसे गैर वानिकी कार्य हेतु उपलब्ध करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया है. यह बहुत गंभीर मामला है. इस मामले में कड़ी कार्रवाई आवश्यक है.

चार साल पदस्थापित रहे थे गिरिडीह में

आनंद मोहन शर्मा पर लगे आरोपों की जांच चार सदस्यीय टीम ने की है. शर्मा 25 जून 2003 से 11 फरवरी 2008 तक गिरिडीह में वन प्रमंडल पदाधिकारी के रूप में पदस्थापित थे. इस दौरान उन्होंने गांवा और भातुडीह में वन भूमि को गैर वन भूमि घोषित किया था. भातुडीह की करीब 140 एकड़ भूमि जेवीकी कंपनी को क्षतिपूरक वनरोपण के लिए दी गयी थी. जांच समिति का कहना था कि शर्मा ने तथ्यों की जांच नहीं की थी.

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