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एक ही परिवार को तीन दुकानें आबंटित करने में फंसे गिरिडीह डीसी और रामगढ़ सीओ, कार्रवाई का आदेश

रांची : एक ही परिवार को अलग-अलग नाम से तीन दुकानें अाबंटित करने के मामले में गिरिडीह के उपायुक्त उमाशंकर सिंह और रामगढ़ सदर अंचल के सीओ राजेश कुमार पर लगा आरोप जांच में सही पाया गया है. मामला देवघर के मोहनपुर प्रखंड अंतर्गत रिखिया हाट का है. यहां पर कैलाश चंद्र राव, पत्नी मंजू […]

रांची : एक ही परिवार को अलग-अलग नाम से तीन दुकानें अाबंटित करने के मामले में गिरिडीह के उपायुक्त उमाशंकर सिंह और रामगढ़ सदर अंचल के सीओ राजेश कुमार पर लगा आरोप जांच में सही पाया गया है. मामला देवघर के मोहनपुर प्रखंड अंतर्गत रिखिया हाट का है. यहां पर कैलाश चंद्र राव, पत्नी मंजू देवी और पुत्री पुष्पा देवी को नियम विरुद्ध तीन दुकानें अाबंटित की गयी थीं. मामले को गंभीर मानते हुए लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय ने दोनों अफसरों के खिलाफ कार्मिक की प्रधान सचिव निधि खरे को कार्रवाई का अादेश दिया है. मामले में मोहनपुर की बिंदु सिंह ने लोकायुक्त के यहां शिकायत दर्ज करायी थी.

दुकानें आबंटित करने के पूर्व नहीं दी थी सूचना
लोकायुक्त ने कहा है कि देवघर के तत्कालीन एसडीओ उमाशंकर सिंह ने तीनों दुकानें अाबंटित करने के पूर्व सूचना पट्ट पर कोई सार्वजनिक सूचना प्रदर्शित नहीं की थी. जनहित में एसडीओ ने इच्छुक व्यक्तियों से उक्त दुकानों की बंदोबस्ती के लिए आवेदन आमंत्रित करने को लेकर स्थानीय समाचार पत्रों में भी सूचना नहीं दी. एसडीओ ने तूती राव के वारिस कैलाश चंद्र राव को एक दुकान अाबंटित करते, तो उपयुक्त समझा जाता, लेकिन इनकी पत्नी और पुत्री के नाम से दुकानों का आबंटन इस आरोप को सिद्ध करता है कि उक्त परिवार के स्वजातीय हाेने के कारण निष्पक्ष एवं स्वतंत्र रूप से उक्त तीनों दुकानों के आबंटन का निर्णय नहीं लिया.

जातिवाद समाज में कोढ़ के रूप में व्याप्त है. सरकारी सेवक द्वारा यदि जातिवाद के आधार पर पक्षपात करते हुए निर्णय लिया जाता है, तो यह गंभीर विषय है. ऐसे सरकारी सेवकों के खिलाफ यथोचित कार्रवाई जरूरी है. लोकायुक्त ने आदेश में यह भी कहा कि जातिवाद के प्रश्न को थोड़ी देर के लिए नजरअंदाज भी कर दिया जाये, तो एक ही परिवार को तीन दुकानें आबंटित करने का निर्णय किसी सूरत में निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता.

तीन माह में रिपोर्ट देने का निर्देश
लोकायुक्त ने कहा कि एसडीओ उमाशंकर सिंह और मोहनपुर सीओ राजेश कुमार द्वारा तीनों दुकानों की बंदोबस्ती पति, पत्नी और पुत्री के नाम से किया जाना निश्चित ही पक्षपातपूर्ण है. जो आरोप इन लोगों पर लगा है वह सही है. इसलिए तीन माह के अंदर दोनों अफसरों पर कार्रवाई कर कार्मिक की प्रधान सचिव कार्रवाई प्रतिवेदन दें. इस मामले में एसडीओ कार्यालय के तत्कालीन लिपिक नवल किशोर सिंह, अस्थायी अमीन छविलाल तांती को निर्दोष पाते हुए आरोप मुक्त कर दिया गया है.

सीओ की रिपोर्ट में एक ही परिवार का उल्लेख नहीं : उमाशंकर
सीओ ने अपने प्रतिवेदन में तीनों के एक ही परिवार के होने का उल्लेख नहीं किया. उनके द्वारा बताया गया कि तीनों अलग-अलग व्यवसाय कर रहे हैं. इन दुकानों की बंदोबस्ती और भाड़े का निर्धारण नहीं किया गया है. इसी आधार पर तीनों के नाम से दुकानों की बंदोबस्ती करते हुए 1400 रुपये वार्षिक किराये का निर्धारण किया गया.

पहले ही तीनों दुकानों का निर्माण हो चुका था: राजेश कुमार
मेरे कार्यकाल से पूर्व ही तीनों दुकानों का निर्माण हो चुका था. जिस पर तीन अलग-अलग लोगों का कब्जा था. लेकिन जांच में दुकानों के किराये और बंदोबस्ती नहीं होना पाया गया. इसके बाद दुकानों को खाली कराने का आदेश दिया गया. इसके साथ ही मामले की जानकारी के साथ ही शिकायतकर्ता बिंदु सिंह के आवेदन को भी एसडीओ के यहां अग्रसारित कर दिया गया.

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