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रांची : टीजीटी के 461 शिक्षकों को मिला नियुक्ति पत्र
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव (जिला स्कूल) में समारोह का आयोजन रांची : माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से रांची जिले के प्लस टू स्कूल (पीजीटी) में 119 और हाइस्कूल (टीजीटी) के 461 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया. ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव (जिला स्कूल) में आयोजित समारोह में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने नियुक्ति पत्र सौंपते […]
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव (जिला स्कूल) में समारोह का आयोजन
रांची : माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से रांची जिले के प्लस टू स्कूल (पीजीटी) में 119 और हाइस्कूल (टीजीटी) के 461 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा गया. ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव (जिला स्कूल) में आयोजित समारोह में नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने नियुक्ति पत्र सौंपते हुए सभी नवचयनित शिक्षकों को शुभकामना देने के साथ ही शिक्षण कार्य पूरी कर्तव्यनिष्ठा से करने का परामर्श दिया. उन्होंने कहा कि सफल शिक्षक वही है, जो सबसेे तेज और सबसे कमजोर बच्चों के बीच के अंतर को पाट दे.
ज्ञात हो कि प्लस टू स्कूलों के अंदर पूर्व में ही शिक्षकों को नियुक्त कर लिया गया था, जबकि हाइस्कूल के लिए 1 से 15 जून तक आयोजित काउंसलिंग के दौरान उनकी पसंद की जगह पर इनकी पदस्थापना को मंजूरी दी गयी थी. कार्यक्रम के दौरान क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक अशोक कुमार शर्मा, डीएसइ सी. विजय सिंह, क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक अशोक कुमार वर्मा सहित विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे.
पीजटी में नियुक्ति के बाद भी रिक्त रह गये 113 पद : रांची जिले में 11 विषयों के अंदर प्रत्येक में शिक्षकों के कुल 407 पद स्वीकृत हैं. इनमें पूर्व से 175 शिक्षक कार्यरत हैं. पीजीटी के 119 शिक्षकों के ताजा पदस्थापन के बाद भी इनमें से 113 पद अब भी रिक्त रह गये हैं.
वहीं टीजीटी के कुल 1568 स्वीकृत पदों पर 461 नये शिक्षकों के 15 विषयों में पदस्थापन के बाद रांची जिले में अब भी 645 पद रिक्त रह गये हैं.
पीजीटी के इन विषयों को मिले शिक्षक : इसमें जीव विज्ञान 15, रसायन विज्ञान 6, वाणिज्य 17, अर्थशास्त्र 15, अंग्रेजी 8, हिंदी 15, इतिहास 12, गणित 4, भौतिक विज्ञान 01, भूगोल 17 व संस्कृत विषय के 9 शिक्षक-शिक्षिकाओं का नियुक्ति पत्र जारी किया गया है.
टीजीटी में महिला शिक्षकों की संख्या अधिक : माध्यमिक विद्यालयों में 15 विषयों के अंदर कुल 461 में से 251 महिला शिक्षक, 210 पुुरुष, जबकि दोनों ही श्रेणियों के अंदर 2-2 दिव्यांग शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया.
प्रेरक है मुन्नावती का मजदूर से शिक्षक बनने तक का सफर
तंगहाली को मात देकर मेधा का मनवाया लोहा
गुदड़ी के लालवाली कहावत झारखंड के बेड़ो इलाके में रहनेवाली मुन्नावती पर बिलकुल फिट बैठती है. बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखनेवाली मुन्नावती देवी को पढ़ने का ऐसा जुनून है कि गरीबी कभी उसके आड़े नहीं आयी. संस्कृत में गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद अब प्लस टू स्कूल में शिक्षक की नौकरी हासिल की.
मेहनत-मजदूरी कर ईंट भट्ठे पर काम करनेवाली मुन्नावती जब स्टेज पर नियुक्ति पत्र लेने पहुंची तो अपने हौसले के दम पर उसने समारोह स्थल पर सर्वाधिक तालियां बटोरीं. उनकी नियुक्ति पिस्कानगड़ी के राजकीयकृत प्लस टू विद्यालय नगड़ी में की गयी है.
जीवन में संघर्ष को जीतकर बनाया अपना रास्ता
मुन्नावती कुमारी शुरू से ही मेधावी छात्रा रही हैं. प्राथमिक शिक्षा से लेकर हायर एजुकेशन तक, हर जगह उन्होंने अपनी सफलता का परचम लहराया है. मुन्नावती कुमारी एक मिसाल हैं, उनके लिए जो गरीबी के नाम पर शिक्षा से दूर हो जाते हैं. कम उम्र में कई साल रेजा मजदूरी करते वक्त बचपन में जो सपना देखा था, उसे आगे चलकर साकार किया. तब मन में बस एक ही ख्याल था कि आज मुझे ईंटें नहीं उठानी, बल्कि कुछ कर गुजरना है.
गरीबी से नहीं टूटे हौसले रांची के एक सुदूर नक्सल प्रभावित बेड़ो गांव की रहनेवाली मुन्नावती की मजदूरी से लेकर मेडल हासिल करने तक की कहानी अपने-आप में एक मिसाल है. इसे जिसने भी सुना, उसने उनके हौसले को सलाम किया. बचपन में ही पिता का साया सर से हट गया. दूसरी तरफ मां को किडनी की बीमारी थी. ऐसे में जब घर में खाने के लाले पड़े हों, तो पढ़ाई तो दूर की बात थी. लेकिन मुन्नावती ने हार नहीं मानी. दिनभर हाड़तोड़ मेहनत-मजदूरी करती और रात में पढ़ाई करती रही.
एकीकृत बिहार के समय 1998 में मुन्नावती ने बिहार बोर्ड से प्रथम श्रेणी में मैट्रिकुलेशन उत्तीर्ण किया था. फिर ऐसा दिन भी आया, जब सत्र 2010-12 में कुल 1600 अंक में से 1046 यानी 65.35 फीसदी अंक लेकर संस्कृत विषय में रांची विवि में टॉप किया और गोल्ड मेडल हासिल किया.
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