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पिछले 10 साल से दिसंबर में नहीं हुई थी इतनी बारिश, देंखे आंकड़ें

साइक्लोन फेथाई के असर से राजधानी में 24 घंटे में हुई 57.8 मिमी बारिश रांची : दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी से उठे साइक्लोन फेथाई का असर झारखंड पर साफ दिख रहा है. इस वजह से राजधानी और आसपास के कई जिलों में जरबदस्त बारिश हुई. इससे ठंड बढ़ गयी. सोमवार से शाम लेकर मंगलवार शाम […]

साइक्लोन फेथाई के असर से राजधानी में 24 घंटे में हुई 57.8 मिमी बारिश
रांची : दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी से उठे साइक्लोन फेथाई का असर झारखंड पर साफ दिख रहा है. इस वजह से राजधानी और आसपास के कई जिलों में जरबदस्त बारिश हुई. इससे ठंड बढ़ गयी. सोमवार से शाम लेकर मंगलवार शाम तक राजधानी रांची में करीब 57.8 मिमी बारिश दर्ज की गयी है. मौसम विभाग की मानें, तो पिछले 10 साल से दिसंबर में इतनी बारिश नहीं हुई थी. 2014 में 15 दिसंबर को 13.3 मिमी बारिश हुई थी.
राज्य में पिछले 24 घंटे में सबसे अधिक बारिश 84.4 मिमी बारिश जमशेदपुर में हुई. डालटनगंज में 10.4, बोकारो में 31.2 तथा चाईबासा में 71.7 मिमी बारिश दर्ज की गयी है. साइक्लोन का असर झारखंड पर रविवार, सोमवार और मंगलवार को रहा. रविवार की रात से लगातार बारिश होती रही, यह मंगलवार को समाप्त हुई.
मौसम विभाग के अनुसार बुधवार से आकाश साफ रहने की उम्मीद है.आकाश साफ होने से न्यूनतम तापमान गिरेगा और अधिकतम तापमान धूप खिलने के कारण बढ़ सकता है. वैसे मंगलवार को राजधानी का अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बीच का अंतर चार डिग्री सेल्सियस के आसपास ही रहा. राजधानी का अधिकतम तापमान 15.2 डिग्री सेल्सियस तथा न्यूतनम तामपान 11.4 डिग्री सेल्सियस रहा. अधिकतम तापमान सामान्य से करीब नौ डिग्री सेल्सियस नीचे रहा.
पिछले दस साल में दिसंबर की बारिश (मिमी में)
साल तिथि बारिश
2017 12 7.8
2016 00 00
2015 00 00
2014 13.3 15
2013 6.4 31
2012 2.0 12
2011 0.6 9
2010 1.7 31
2009 2.2 15
2008 00 00
2007 0.1 3
रांची : शाकाहारी को महुआ और मांसाहारी को दी जा रही विटामिन की खुराक
रांची : ओरमांझी स्थित भगवान बिरसा मुंडा जू के जानवरों को ठंड से बचाने से लिए उपाय किये जा रहे हैं. दर्शकों को जानवरों का सालों भर दर्शन हो, इसके लिए जू प्रबंधन ने कई उपाय किये हैं. जानवरों के खाने-पीने के साथ-साथ रहने की व्यवस्था में बदलाव किये गये हैं.
शाकाहारी जानवरों को खाने में महुआ दी जा रही है. महुआ गर्म करता है. इसी तरह मांसाहारी जानवरों को विटामिन एक, डी-3 और ई का लिक्विड दिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त शाकाहारी जानवरों के लिए छावनी और शेड की व्यवस्था की गयी है. शेड के नीचे का पुआल हर सुबह बदला जा रहा है. हाथियों के लिए अलाव की व्यवस्था की गयी है. जू के डॉक्टर अजय कुमार बताते हैं कि शेर, बाघ, तेंदुआ और भालू के रहने के स्थान को परदे से ढंका गया है. दूर में हीटर भी जलाया जा रहा है, जिससे जानवरों को ठंड का असर कम पड़े.

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