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रांची : करीब 36 हजार होटल-ढाबों के लिए तीन फूड सेफ्टी अफसर
रांची : फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट (खाद्य संरक्षा व मानक अधिनियम)-2006 के तहत राज्य भर में फूड बिजनेस करनेवाले (होटल, ढाबा, रेस्तरां व अन्य) 4580 लोगों को लाइसेंस निर्गत किया गया है. वहीं, इस अधिनियम के तहत 26 फरवरी 2018 तक कुल 31983 निबंधन हुए हैं. इस तरह लाइसेंस प्राप्त व निबंधित होटलों, ढाबों, […]
रांची : फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट (खाद्य संरक्षा व मानक अधिनियम)-2006 के तहत राज्य भर में फूड बिजनेस करनेवाले (होटल, ढाबा, रेस्तरां व अन्य) 4580 लोगों को लाइसेंस निर्गत किया गया है. वहीं, इस अधिनियम के तहत 26 फरवरी 2018 तक कुल 31983 निबंधन हुए हैं.
इस तरह लाइसेंस प्राप्त व निबंधित होटलों, ढाबों, रेस्तरां व अन्य की संख्या 36563 है. पर इन पर नजर रखने के लिए सरकार के पास सिर्फ तीन फूड सेफ्टी अफसर (खाद्य संरक्षा अधिकारी) हैं.
इससे पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (सीएचसी) के कुल 188 प्रभारी चिकित्सकों (एमअोआइसी) को भी फूड सेफ्टी अफसर का दर्जा दिया गया. पर एमअोआइसी को अपने मूल काम से ही फुर्सत नहीं मिलती कि वे फूड सेफ्टी अफसर का रोल अदा कर सकें. अब 24 नये फूड सेफ्टी अफसर की सेवा राज्य को मिलनी है. इसके बाद स्थिति थोड़ी संभल सकती है. गौरतलब है कि खाद्य पदार्थों के भंडारण, संग्रहण, परिवहन व बिक्री में लगे सभी व्यक्ति या फर्म को उपरोक्त अधिनियम के तहत लाइसेंस लेना या निबंधित होना अनिवार्य है. इसके बाद ऐसे सभी लोगों पर सरकार, फूड सेफ्टी अफसर के माध्यम से नजर रखती है. उन्हें खाने-पीने की चीजों में मिलावट या उनकी पैकेजिंग में गड़बड़ी करने से रोकती है तथा खाद्य व्यवसायियों को साफ-सफाई व स्वच्छता बनाये रखने को बाध्य करती है.
पर लाइसेंस प्राप्त या निबंधित खाद्य व्यापारियों पर नजर रखने के लिए खाद्य संरक्षा अधिकारियों की कमी से यह काम नहीं हो रहा है. इधर, लड्डू-जलेबी व अन्य मिठाई में मेटानिल येलो रंग मिलाया जा रहा है. बाजार में जले तेल का चलन खूब है तथा डेयरी प्रोडक्ट सहित अन्य खाद्य में मिलावट जारी है.
सबको लाइसेंस व निबंधन नहीं
अब भी लगभग सभी जिलों में सैकड़ों एेसे फूड व्यवसायी हैं, जिनका न तो लाइसेंस निर्गत हुआ है और न ही उन्हें निबंधित किया गया है. ठेला-वेंडर तो हजारों की संख्या में हैं, जिन्हें इस कानून के दायरे में लाया जाना है. प्रावधान के अनुसार जिन खाद्य व्यापारियों का सालाना व्यवसाय 12 लाख रुपये तक है, उन्हें निबंधन कराना होता है. वहीं, जिनका व्यवसाय 12 लाख रुपये सालाना से अधिक है, उन्हें लाइसेंस निर्गत होता है. अभी 26 फरवरी तक राज्य भर में कुल 4580 लाइसेंस निर्गत करने से सरकार को 2.52 करोड़ रुपये तथा 31983 निबंधन से 78.61 लाख रुपये राजस्व की प्राप्ति हुई है.
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