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आदिवासी विकास विरोधी नहीं, चाहते हैं विकास में हिस्सेदारी, देखें ग्लैडसन से विशेष बातचीत

रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट सहित आदिवासी हितों पर जब भी सवाल उठे, तो कुछ चुनिंदा लोग ही थे जो इसके जवाब और आदिवासियों की जमीनी हकीकत के साथ सामने आये. पिछले कुछ महीनों से सीएनटी-एसपीटी के मुद्दे पर आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. पिछले दिनों आदिवासियों के आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया और कई […]

रांची : सीएनटी-एसपीटी एक्ट सहित आदिवासी हितों पर जब भी सवाल उठे, तो कुछ चुनिंदा लोग ही थे जो इसके जवाब और आदिवासियों की जमीनी हकीकत के साथ सामने आये. पिछले कुछ महीनों से सीएनटी-एसपीटी के मुद्दे पर आदिवासी आंदोलन कर रहे हैं. पिछले दिनों आदिवासियों के आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया और कई जगहों पर तोड़फोड़ हुई. इस मुद्दे पर प्रभात खबर डॉट कॉम ने मंगलवार को आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग से विशेष बातचीत की.

फेसबुक लाइव का पहला भाग देखने के लिए यहां क्लिक करें

फेसबुक लाइव के इस सीधे कार्यक्रम में ग्लैडसन ने आदिवासियों की मूल समस्या को सामने रखा. उन्होंने ने कहा, हम विकास विरोधी नहीं हैं, हम विकास में अपना हिस्सा चाहते हैं. हमारी जमीन जा रही है, जमीन को हम सिर्फ संपत्ति के रूप में नहीं देखते, हमारी जमीन से हमारी पहचान है, हमारी संस्कृति है. राज्य में खेती के लिए कम जमीन बची है और राज्य सरकार की नजर कृषि योग्य जमीनों पर है. ऐसा नहीं है कि हम जमीन देना नहीं चाहते, लेकिन सबसे पहले नजर वैसी जमीनों का अधिग्रहण होना चाहिए जो बंजर पड़ी हैं, जहां खेती नहीं होती.

बातचीत का दूसरा भाग देखने के लिए यहां क्लिक करें

उन्होंने आदिवासियों से अपील करते हुए कहा कि मैं नक्सल समर्थक नहीं हूं, मैं खुले तौर पर हिंसा का विरोध करता हूं. आपके इस कार्यक्रम के माध्यम से भी अपील करता हूं कि वैसे नौजवान जो हिंसा के माध्यम से लड़ाई लड़ रहे हैं मुख्य धारा में आयें. अपना बौद्धिक स्तर मजबूत करें. संविधान को समझें, अपने अधिकारों को समझें और कलम को अपना हथियार बनायें. आदिवासी हित के नाम पर हमेशा खेल चलता रहा है. आजादी से लेकर अबतक आदिवासियों को क्या मिला. उनकी जमीन छिन कर अस्पताल बने, स्कूल बने. दुकानें बनीं, परंतु आदिवासियों को क्या मिला?
ग्लैडसन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जो नेता हमारे बीच से जाते हैं, रिजर्व सीट पर चुनाव लड़ते हैं, आदिवासी हित का हवाला देते हैं आैर बाद में बदल जाते हैं. राज्य में कई पार्टियों की सरकारें रहीं, लेकिन आदिवासियों के हित के बारे में किसने सोचा. प्रभात खबर डॉट कॉम से बातचीत में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं राजनीति में नहीं आऊंगा. मैं पिपुल्स पॉलिटिक्स कर रहा हूं, राजनीति में आने का मेरा कोई इरादा नहीं है.

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