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अहले सुबह हुई रिमझिम बारिश, दो घंटे बाद निकली कड़ाके की धूप, बढ़ी परेशानी

पूर्णिया : पिछले एक हफ्ते से पड़ रही भीषण गर्मी से राहत मिलने आस महज तीन घंटे के अंदर टूट गयी. रात की अलसायी गर्मी के बाद बुधवार को अहले सुबह करीब साढ़े चार बजे जैसे ही बारिश शुरू हुई लोग यह सोच कर झूम उठे कि मानसून आ गया और अब भीषण गर्मी से […]

पूर्णिया : पिछले एक हफ्ते से पड़ रही भीषण गर्मी से राहत मिलने आस महज तीन घंटे के अंदर टूट गयी. रात की अलसायी गर्मी के बाद बुधवार को अहले सुबह करीब साढ़े चार बजे जैसे ही बारिश शुरू हुई लोग यह सोच कर झूम उठे कि मानसून आ गया और अब भीषण गर्मी से राहत मिल जायेगी. कई लोग आसमान से रिमझिम बारिश और पुरबैया हवा का आनंद लेने के लिए घरों से बाहर आ गये और भींग कर रात की गर्मी मिटायी. मगर, जैसे ही घड़ी का कांटा सात पर गया, लोगों को अपनी आस टूटती नजर आने लगी. सुबह आठ बजते-बजते सभी एक बार ‌फिर निराश हो गये.

दो घंटे की राहत देकर बारिश गायब हो गयी और आसमान आग बरसाने लगा. सुबह 9 बजे मौसम का अधिकतमर तापमान 33 डिसे. था. जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया मौसम का पारा भी उछाल खाता गया. दोपहर आते-आते अधिकतम तापमान 38 और न्यूनतम तापमान 28 डिसे. पर पहुंच गया. हालांकि दोपहर के समय रियल फिलिंग 40 डिसे. जैसी हुई. शहरवासियों ने कहा कि मौसम ने सुबह आस बंधायी और दो घंटे बाद तोड़ भी दी.
भौगोलिक बदलाव पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए लोगों ने कहा कि मौसम का पूर्वानुमान भी अब गलत साबित होने लगा है. पूर्वानुमान में मंगलवार की रात से ही झमाझम बारिश और तेज हवा की गुंजाइश बतायी गयी थी. मौसम के जानकारों का कहना है कि लगातार पछुआ हवा के चलने से दक्षिण गोलार्द्ध में जो पर्याप्त उच्च दबाव होना चाहिए था वह नहीं था.
इसी तरह उत्तरी गोलार्द्ध में निम्न दबाव की कमी रही. नतीजतन मानसून अभी तक मजबूत नहीं हो सका है. गौरतलब है कि मौसम का यह तापमान महानगरों के लिए भले ही कोई मायने न रखता हो पर मिनी दार्जिलिंग कहे जाने वाले पूर्णिया के लिए असहज है क्योंकि पूर्णिया के लोगों को इतनी गर्मी झेलने की कभी आदत नहीं रही. यहां के लोग तुरंत कड़ी धूप और देखते-देखते बारिश झेलने अभ्यस्त रहे हैं. यही वजह है कि मौसम के इस गर्म मिजाज से लोगों की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो गयी है.
बुधवार की सुबह थोड़ी सुहानी लग रही थी पर दस बजते-बजते धूप इतनी कड़ी हो गयी कि लगा आसमान से आग का गोला बरस रहा हो. कड़क धूप के कारण दोपहर से शाम तक सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. भीषण गर्मी के कारण लो घरों में ही दुबके रहे. वैसे जिला प्रशासन द्वारा अगले 22 जून तक स्कूलों में अवकाश घोषित किये जाने के कारण छात्र-छात्राओं को काफी हद तक राहत है पर काॅलेज जाने वालों की परेशानी बढ़ी हुई है.
महज दो घंटे के अंदर टूट गयी गर्मी से राहत मिलने की आस
कम बारिश और मौसम के गरमाते मिजाज के कारण जल संकट की संभावना बन गयी है. तापमान बढ़ने के कारण भू गर्भ का जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है. पीएचइडी विभाग की मानें तो इस साल अब तक 6 इंच से एक फीट तक जलस्तर नीचे गया है.
विभागीय जानकारों की मानें तो जिले के दो प्रखंड क्रमश: बनमनखी और धमदाहा में सबसे ज्यादा जलस्तर नीचे गया है. विभाग का दावा है कि शहरी क्षेत्र के भूजल स्तर में कोई गिरावट नहीं है. लेकिन यदि गर्मी की यही रफ्तार रही और बारिश नहीं हुई तो जलस्तर में गिरावट आ सकती है. विभाग का कहना है कि भूजल स्तर नीचे जाने के मामले में पूर्णिया ही नहीं, बिहार के 19 जिला क्रिटिकल जॉन में है.
बिजली ने बढ़ायी परेशानी बेबस और बेहाल जिंदगानी
भीषण गर्मी के साथ बिजली कट ने शहरवासियों की परेशानी बढ़ा दी है. गर्मी और बिजली के आगे आम आदमी बेबस और बेहाल है. लोगों को बिजली कट के इस खेल की असलियत का कुछ पता नहीं चल पा रहा है. कुछ मोहल्लों में गायब हो जाती है तो कुछ मोहल्लों में बिजली रहती भी है. मधुबनी के कई मोहल्लों में मंगलवार की पूरी रात बिजली गायब थी तो फ्लावर मिल वाले मोहल्ले में पूरी रात बिजली रही. इसी तरह गुलाबबाग के जीरोमाइल फीडर से जुड़े मोहल्लों में बिजली गायब रही जबकि सिटी फीडर से जुड़े गुलाबबाग के इलाके में सप्लाइ दुरुस्त रहा.
यह अलग बात है कि कटिंग और ट्रिपिंग से कोई मोहल्ला अछूता नहीं रहा. अब्दुल्लानगर के उपभोक्ताओं ने बताया कि दोपहर दो बजे तक कुल नौ दफे हर आधे घंटे पर बिजली आती और जाती रही. बिजली के लचर सप्लाइ सिस्टम से शहरवासी भीषण गर्मी में बेहाल हो गये हैं. इधर, विभागीय अधिकारी न तो तकनीकी कारण बता पाते हैं और न ही यह मानते हैं कि सप्लाइ में कोई गड़बड़ी है.

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