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पटना : शहर का बढ़ाना चाहते हैं मान तो अपना सकते हैं पांच मॉडल

अनिकेत त्रिवेदी स्वच्छता सर्वेक्षण : जनवरी में आयेगी मंत्रालय की टीम पटना : सूबे के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग की शुरुआत हो चुकी है. इसमें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए इस बार नगर विकास व अावास विभाग बड़ी तैयारी कर रहा है. मगर, इस सर्वेक्षण में अगर आप अपने शहर का मान बढ़ाना यानी अगले […]

अनिकेत त्रिवेदी
स्वच्छता सर्वेक्षण : जनवरी में आयेगी मंत्रालय की टीम
पटना : सूबे के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग की शुरुआत हो चुकी है. इसमें बेहतर प्रदर्शन करने के लिए इस बार नगर विकास व अावास विभाग बड़ी तैयारी कर रहा है.
मगर, इस सर्वेक्षण में अगर आप अपने शहर का मान बढ़ाना यानी अगले वर्ष जारी होने वाले स्वच्छ शहरों की नेशन रैंकिंग बेहतर प्रदर्शन चाहते हैं, तो सूबे के प्रयोग के तौर पर पांच शहरों में लागू ठोस कचरा प्रबंधन आप के लिए एक मार्गदर्शक मॉडल बन सकता है. आप इसमें स्थानीय नगर निकाय से मिल कर शहर की सफाई में योगदान देने के साथ कमाई भी कर सकते हैं. मुजफ्फरपुर, बोधगया मॉडल, सुपौल, राजगीर और खगौल में इसकी शुरुआत की गयी है.
कचरे से कमाई का गणित : राज्य के पांच नगर निकायों में कचरा निष्पादन के अलग-अलग पांच मॉडल अपनाये गये हैं. इसमें मुजफ्फरपुर मॉडल नाॅर्थ इंडिया का कचरा निष्पादन का सबसे बेहतर मॉडल है. इसमें अभी तीन सौ से अधिक लोगों को रोजगार मिला है.
जुलाई तक कचरा से 12 टन खाद बनाया जा चुका है. राजगीर में दो वार्डों के स्वयंसेवी संगठन कचरा कलेक्शन से लेकर उसके निष्पादन तक का काम इस माह से ही शुरू किया गया है. इसमें कचरा से खाद बनानी है. जिसको पांच रुपये प्रति किलो बेचने की तैयारी है. इसके अलावा खगौल में दस महिलाओं की टीम कचरे से खाद बनाने का काम घर में ही शुरू कर दिया है. इसके अलावा बोधगया और सुपौल में भी ऐसे ही एक सिस्टम को डेवलप किया गया है.
48 नगर निकायों में तैयारी, 19 में काम शुरू
सभी शहरों में अलग-अलग कचरा प्रबंधन का अलग-अलग मॉडल अपनाने के पीछे अधिकारियों की सोच है कि अगर केंद्र सरकार किसी भी मॉडल को अपने पैमाने पर सही मानती है तो राज्य का कम से कम एक शहर देश के टॉप सौ शहरों में आ सके, जो अब तक नहीं हो पाया है.
इतना ही नहीं विभाग के अनुसार सूबे के 48 शहरों में ठोस कचरा प्रबंधन की तैयारी कर ली गयी है. इसमें अधिकांश में कचरे से खाद बनाने का काम किया जाना है. जबकि 19 नगर निकायों में इसकी शुरुआत तक कर दी गयी है. राजगीर में दो वार्डों के स्वयंसेवी संगठन कचरा कलेक्शन से लेकर उसके निष्पादन तक का काम इस माह से ही शुरू किया गया है.
टॉप 100 में भी नहीं आये हैं बिहार के शहर : देश में अब तक कुल चार सर्वे हो चुके हैं. यह पांचवां सर्वे चल रहा है. अब तक बिहार का कोई शहर टॉप 100 में नहीं आये हैं. इस बार 6000 अंक का सर्वे हो रहा है. पिछली बार मुंगेर को 271, जमालपुर को 280, किशनगंज को 305 और पटना को 318 अंक मिले थे.
चार से 31 जनवरी के बीच आयेगी टीम
इस बार सिटीजन फीडबैक पर 1500 अंक, नगर निकायों के ऑनलाइन कार्य प्रणाली यानी सेटिफिकेशन पर 1500 अंक, सर्विस लेवल प्रोग्रेस पर 1500 अंक और जनवरी में चार से 31 के बीच मंत्रालय से आने वाली टीम की सीधी निगाह में आने वाले काम के लिए 1500 अंक दिये जायेंगे. चार से 31 जनवरी के बीच मंत्रालय की टीम आयेगी.
इस बार देश के टॉप 10 शहरों में बिहार के सर्वे को लाने का प्रयास किया जा रहा है. नगर निकायों के अधिकारियों, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ 20 वर्कशॉप आयोजित किये गये हैं.
इंदु कुमारी, नोडल पदाधिकारी, स्वच्छता सर्वेक्षण
इन पर होगा काम
कचरा कलेक्शन व कचरा प्वाइंट तक मैनेज कर के ले जाना.
कचरा को निष्पादन के बाद उपयोगी बनाना.
पानी को साफ करना और उसको दोबारा उपयोगी बनाना.
ठोस कचरे को मैनेज कर वायु प्रदूषण को कम करना.
थ्री आर के नियम
कम करना, दोबारा उपयोग करना व रिसाइकिल करने का पालन करना. गंगा किनारे के शहरों में अलग से एक्शन प्लान लाना.

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